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पुलिस की गिरफ्त में आए देवरिया के जिला पंचायत अध्यक्ष

चर्चित दीपक अपहरण कांड के मुख्य आरोपित हैं जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश, आरोप लगने के बाद से ही थे फरार

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 12:06 PM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 12:06 PM (IST)
पुलिस की गिरफ्त में आए देवरिया के जिला पंचायत अध्यक्ष
पुलिस की गिरफ्त में आए देवरिया के जिला पंचायत अध्यक्ष

गोरखपुर : देवरिया के चर्चित दीपक अपहरण कांड के मुख्य आरोपित जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव को देवरिया पुलिस द्वारा नेपाल बार्डर से हिरासत में ले लिया गया है। साथ ही जनपद के एक थाने पर जिला पंचायत अध्यक्ष को रखकर पूछताछ करने की बात भी सामने आई।

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देवरिया खास निवासी दीपक मणि का 20 मार्च को सलेमपुर रेलवे स्टेशन से अपहरण कर 17 अप्रैल को दस करोड़ की जमीन का बैनामा करा लिया गया। साथ ही बंधक बनाकर रखा गया। एसपी रोहन पी कनय के प्रयास से दो मई को दीपक को मुक्त करा लिया गया तथा चार आरोपितों को उसी दिन जेल भी भेज दिया गया, लेकिन मुख्य आरोपित जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। एक दिन पूर्व नेपाल व महराजगंज बार्डर से पुलिस ने मुख्य आरोपित को दबोच लिया। इसमें देवरिया की स्वाट टीम की भूमिका अहम रही। बताया जा रहा है कि शनिवार की भोर में स्वाट टीम उसे लेकर देवरिया पहुंच गई और जनपद के एक थाने पर रखकर उससे पूछताछ की। हालांकि इसकी पुलिस अधिकारी इसकी पुष्टि नहीं कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष को एक से दो दिनों के अंदर जेल भेजा जा सकता है।

बीस दिन से नेपाल में ही जमे थे जिपं अध्यक्ष

दीपक मणि अपहरण कांड के पर्दाफाश होने के दूसरे या तीसरे दिन से ही मुख्य आरोपित जिला पंचायत अध्यक्ष ने पुलिस से बचने के लिए यूपी नहीं, बल्कि देश छोड़ कर पड़ोसी देश नेपाल में शरण ले ली। पुलिस को मोबाइल टावर लोकेशन से इसकी भनक तो लगती रही, लेकिन दो देश का मामला होने तथा कानूनी पेंच के चलते देवरिया के साथ ही जोन की पुलिस भी बैकफुट पर रही।

दो मई को पुलिस ने दीपक मणि अपहरण कांड का खुलासा किया और मुख्य आरोपित जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव का नाम आया। इसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष ने उसी रात जिला मुख्यालय छोड़ दिया। दो दिन तक इधर-उधर रहने के बाद यूपी नहीं, बल्कि देश को छोड़कर नेपाल में जाकर शरण ले ली। बार्डर इलाके में शरण लेने के बाद वह अपने लोगों से आए दिन बात भी करने लगे। पुलिस ने बातचीत का मोबाइल टावर लोकेशन निकाला तो पता चला कि वह नेपाल में हैं। पुलिस ने जाकर इसकी बाकायदा पुष्टि भी की लेकिन कानूनी पेंच के चलते पुलिस उन पर हाथ डालने से पीछे हट गई। कहा जा रहा है कि वहां से आरोपित को गिरफ्तार करने के लिए दूतावास के जरिये आदेश लेना पड़ता और फिर गिरफ्तारी की जाती। यह प्रक्रिया पूरी करने में काफी समय लग सकता था। साथ ही अगर पुलिस वहां से बिना आदेश लिए गिरफ्तार करती तो और दिक्कत हो जाती। इसलिए उसका अड्डा जानने के बाद भी पुलिस इस मामले में बैकफुट पर रही। अगर वह नेपाल नहीं गए होते तो पुलिस पहले ही दबोच कर जेल में डाल दी होती।

न्यायालय से राहत न मिलने पर छोड़ा नेपाल

जिपं अध्यक्ष रामप्रवेश यादव ने पुलिस के शिकंजा से बचने के लिए उच्च न्यायालय की तरफ अपना रुख किया। उच्च न्यायालय से परिवार के एक सदस्य को राहत मिल गई। इसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष ने मुकदमा खारिज करने तथा गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए रिट दाखिल किया लेकिन न्यायमूर्ति के केवल दो सवालों ने घेर लिया और वह था एक साथ इतनी रकम जमीन बेचने वाले को कैसे दी गई? और इतनी महंगी जमीन एक साथ कैसे खरीदी गई? इस सवाल का जवाब नहीं मिला और फिर रिट को ही न्यायमूर्ति ने खारिज कर दी। दिन में उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली और शाम को वह नेपाल को छोड़ दिए। कहा जा रहा है कि वह बार्डर के एक थाने में समर्पण कर दिए।

तो कुर्सी बचाने को छोड़ा नेपाल

दीपक अपहरण कांड के मुख्य आरोपित जिला पंचायत अध्यक्ष राम प्रवेश यादव ने सरकारी जमीन पर भी कब्जा किया था। हाल ही में उनके अवैध कब्जे को खाली कराया गया। मुकदमा दर्ज होने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष फरार हो गए और विपक्षी उनकी कुर्सी लेने की तैयारी में जुट गए। अविश्वास लाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। जिला प्रशासन ने इसकी मंजूरी भी दे दी है। एक तरफ न्यायालय से राहत न मिलने वहीं दूसरी तरफ देश से बाहर होने के चलते कुर्सी के जाने का खतरा भी जिला पंचायत अध्यक्ष पर मंडराने लगा। कहा जा रहा है कि कुर्सी को बचाने के लिए ही जिला पंचायत अध्यक्ष ने नेपाल को छोड़ा और देश में अपना कदम रख दिया। कहा जा रहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष देवरिया जेल में आने के बाद अपनी कुर्सी बचाने के लिए मुहिम चला सकते हैं।

कुछ जिला पंचायत सदस्य लगातार थे संपर्क में

जिला पंचायत अध्यक्ष के देश छोड़ कर फरार होने के बाद भी वह अपने लोगों के संपर्क में थे। बताया जा रहा है कि कुछ जिपं सदस्य लगातार उसके संपर्क में रहे और देवरिया की हर गतिविधि से उसे अवगत कराते रहे, क्योंकि जब पुलिस गिरफ्त में जिला पंचायत अध्यक्ष आए तो तत्काल कुछ जिपं सदस्य इसकी सूचना जनपद के अधिकारियों व मीडिया में देना शुरू कर दिए। उधर, एकौना थाने में जिला पंचायत अध्यक्ष के रखने की चर्चा होते ही कुछ जिपं सदस्य पहुंच गए और देर रात तक जमे रहे। पुलिस सूत्रों का कहना है कि कई अन्य लोग भी इस मामले में गिरफ्त में आ सकते हैं।


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