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पार्टी से मिली मायूसी, अब निर्दल लगाएंगे दांव जानिए क्‍या होगा समीकरण Gorakhpur News

राजनीति में वक्‍त और भाग्‍य कब बदल जाय यह कोई नही जानता। समय अनुकूल हो तो पार्टी के फैसले भी चौकाने वाले हो सकते हैं। यह चर्चा जिला पंचायत सदस्य पद के लिए जारी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद गर्म है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 05:10 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 05:10 PM (IST)
टिकट नहीं मिलने पर अब निर्दल लगाएंगे दांव। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन : राजनीति में वक्‍त और भाग्‍य कब बदल जाय यह कोई नही जानता। समय अनुकूल हो तो पार्टी के फैसले भी चौकाने वाले हो सकते हैं। यह चर्चा जिला पंचायत सदस्य पद के लिए जारी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद गर्म है।

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सूची का बेसब्री से इंतजार था लोगों को

बस्ती जिले में भाजपा सहित तीन प्रमुख दलों ने जिला पंचायत सदस्य पद के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की। इस सूची का दावेदारों के साथ अधिकांश मतदाताओं को भी बेसब्री से इंतजार था। जिनको मौका मिला, उनकी खुशी और उत्साह का ठिकाना नही है, लेकिन पार्टी के अंतिम फैसले से जिनको मायूसी मिली वह बौखला गए हैं। तमाम क्षेत्रों में तो सूची से बाहर हुए दावेदारों ने खुद को समझा लिया है, लेकिन दूसरी ओर कईयों ने अपने संघर्ष और जनता के मन में अपने प्रति विश्वास और वर्षों की मेहनत का हवाला देकर पीछे हटने से मना कर दिया है। इंटरनेट मीडिया पर भी लोगों ने प्रत्याशियों का चेहरा साफ होने के बाद हार-जीत का कयास लगाना शुरू कर दिया है।

पार्टी हर स्‍तर पर प्रत्‍याशी को जिताने का करेगी प्रयास

घोषित प्रत्याशी को जिताने के लिए पार्टी हर स्तर पर प्रयास करेगी, लेकिन उससे पहले उपेक्षा से नाराज होकर मैदान में दांव लगाने वाले कार्यकर्ताओं को सहेजने की जरूरत पड़ेगी। सभी राजनीतिक दलों का अपना वोट बैंक है। कहीं पार्टी का प्रभाव अधिक है तो कुछ क्षेत्रों में बिना पार्टी के आने वाले भी विजेता बनने की संभावना जगा चुके हैं। कई जिला पंचायत क्षेत्र ऐसे भी हैं जंहा जातिगत समीकरण के आधार पर निर्दल प्रत्याशी खुद भले न जीत पाएं लेकिन पार्टी के घोषित दावेदार के लिए संकट जरूर खड़ा करेंगे। पार्टी में तवज्जो न मिलने के कई दावेदारों ने आहत होकर यंहा तक कह दिया कि हम भले नही जीतेंगे लेकिन अपने ताकत का एहसास जरूर कराएंगे। हालांकि इस प्रकार की सीटों पर पैदा हुए विवाद के निस्तारण के लिए बड़े नेताओं द्वारा दखल दी जा रही हैं। इस पूरी कवायद के बाद अब 18 अप्रैल तक इंतजार करना होगा। नामांकन की तिथि समाप्त होने के बाद ही यह तस्वीर साफ हो पाएगी कि आखिर ऊंट किस करवट बैठेगा।


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