संगोष्ठी में होगी पुनर्लिखित ग्रंथों से विकसित अंतर्दृष्टि पर चर्चा
गोरखपुर : समकालीन साहित्य में पुनर्लेखन एक महत्वपूर्ण विधा रही है। मिथक, पुराण, इतिहास एवं साहि
गोरखपुर : समकालीन साहित्य में पुनर्लेखन एक महत्वपूर्ण विधा रही है। मिथक, पुराण, इतिहास एवं साहित्य के विभिन्न ग्रंथों के विविध आयामों एवं दृष्टिकोण से किए गए पुनर्लेखन के विभिन्न पहलुओं पर देश भर से अंग्रेजी साहित्य के अनेक विद्वान अध्येता 26 और 27 मार्च को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में विचार- विनिमय के लिए जुटेंगे।
विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में 26-27 मार्च को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसका विषय री-राइटिंग द पास्ट : लिटरेचर, मिथ एंड हिस्ट्री है, जिसमें पुनर्लिखित ग्रंथों से समकालीन साहित्यिक विमर्श में हुए परिवर्तनों एवं उसके परिप्रेक्ष्य में विकसित अंतदर्ृष्टियों को परिभाषित करने एवं उसकी सम्यक समीक्षा करने का प्रयास किया जाएगा।
मेजबान विभागाध्यक्ष प्रो. हुमा सब्जपोश ने बताया कि संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता कल्याणी विश्वविद्यालय के प्रो. नीलाद्रि चटर्जी होंगे तथा अध्यक्षता कला संकायाध्यक्ष प्रो. अशोक श्रीवास्तव करेंगे। लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एसजेडएच आबिदी एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. एसडी राय संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता होंगे। इनके अतिरिक्त देश के विभिन्न प्रांतों से लगभग डेढ़ सौ प्रतिभागी सम्मिलित होंगे।