एक वीडियो क्लिप से अपने पैरों पर खड़े हो गए दिव्यांग और लौटी पूरी आवाज Gorakhpur News
अभिभावकों ने वीडियो देखकर खुद अपने बच्चों की थेरेपी की। अब वह बिना सहारे के चलने लगे हैं। शहर की चार वर्षीय समृद्धि कुमारी किसी शब्द का सही उच्चारण नहीं कर पाती थीं अब वह भी पूरी तरह से सही उच्चारण करने लगी हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना के कहर पर दिव्यांग बच्चों के जज्बे का सफर पूरी तरह से भारी पड़ा। इसका आधार बना सीआरसी द्वारा तैयार थेरेपी वीडियो क्लिप, जिसे देख इन्होंने अपने जीवन की वास्तविक फिल्म में रंग भरने का कार्य किया। मसलन, रामजानकी नगर, बशारतपुर के दो वर्षीय बालक जिज्ञांशु वर्मा चलने में असमर्थ थे।
अभिभावकों ने वीडियो देखकर खुद उनकी थेरेपी की। अब वह बिना सहारे के चलने लगे हैं। शहर की चार वर्षीय समृद्धि कुमारी किसी शब्द का सही उच्चारण नहीं कर पाती थीं, अब वह भी पूरी तरह से सही उच्चारण करने लगी हैं। ऐसे ही तमाम बच्चे हैं जो अब ऐसी बाधा से पार हो अपने जीवन की डगर पर बढ़ चले हैं। अभिभावकों का कहना हैं कि हमने प्रयास किया बच्चों ने उसे सफल बनाया।
कोरोना के चलते परेशान हो गए थे अभिभावक
दरअसल, कोरोना के चलते समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण केंद्र (सीआरसी) में बच्चे नहीं आ पा रहे थे। थेरेपी छूट जाने से अभिभावक परेशान हो गए थे। वे सीआरसी में फोन कर अपनी समस्या बताते थे। इसे देखते हुए सीआरसी के सभी नौ विभागों ने थेरेपी के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर लोगों को भेजे। कुल 60 वीडियो बनाए गए। इतना ही नहीं अभिभावकों के 30 ग्रुप बनाकर उनकी हर समस्या का समाधान किया जाता था। विशेषज्ञों के मोबाइल नंबर भी जारी किए गए थे। साथ ही 27 जिलों के डीएम से अनुरोध किया गया कि वे वीडियो को दिव्यांग बच्चों तक पहुंचाएं।
दो लाख बच्चों तक पहुंचा वीडियो
सीआरसी के अनुरोध पर इस संबंध में शासन की तरफ से भी सभी डीएम को निर्देश भेजे गए। लाकडाउन में जब पूरा देश ठहर गया था, उस समय सीआरसी ने अपने प्रयास से लगभग दो लाख बच्चों तक पहुंच बनाई और उन्हें वीडियो के माध्यम से व्यावसायिक थेरेपी, विशेष शिक्षा, बोलने की शिक्षा देने के साथ ही फिजियोथेरेपी का तरीका बताया।
अब ज्यादातर बच्चों के उच्चारण भी सही
सीआरसी के निदेशक डा. रमेश कुमार पांडेय का कहना है कि कोरोना काल में कहीं बाहर जाना नहीं था, तो लोगों ने वीडियो देखकर बच्चों की अच्छी थेरेपी की। इससे वे जल्दी ठीक हुए। साथ ही कुछ बड़े बच्चे जिन्हें बोलने में कठिनाई थी, उन्होंने वीडियो देखकर बोलने का ज्यादा अभ्यास किया। अब ज्यादातर के उच्चारण ठीक हो गए हैं।