हर माह होती थी एक लाख की चोरी, अब ऐसे बचा लिए एक माह में 28 लाख रुपये
नगर निगम में हरमाह 28 लाख रुपये की डीजल चोरी होती थी। चोरी को रोकने के लिए 27 कर्मचारी लगाए गए। अब पता चला कि कौन कर रहा था चोरी।
By Edited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 10:19 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 10:19 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। नगर निगम में तेल के नाम पर हो रहे खेल से पर्दा उठा गया है। औसतन प्रतिदिन एक लाख रुपये की डीजल चोरी हो रही थी। निगम के आंकड़ें खुद इसकी गवाही दे रहे हैं। डीजल फीलिंग को लेकर बदली व्यवस्था से दिसंबर में नवंबर के मुकाबले 28.30 लाख रुपये के डीजल कम खर्च हुए हैं। विभाग ने बिजली चोरी से जुड़े लोगों पर कार्यवाही करने के लिए नोटिस जारी कर दिया है।
नगर निगम में सर्वाधिक डीजल की खपत स्वास्थ्य विभाग के वाहनों में होती है। महानगर के साफ-सफाई की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की ही है। डीजल चोरी की सबसे अधिक शिकायतें भी इसी विभाग में होती थीं। डीजल चोरी कर लोग अपनी जेब भर लिया करते थे। इससे हर माह नगर निगम को लाखों का नुकसान हो रहा था। डीजल चोरी की पोल पार्षदों ने खोली। पार्षदों को पता चला कि सिर्फ दो विभागों के अधिकारी और कर्मचारी डीजल चोरी कर रहे हैं। पार्षदों ने डीजल चोरी का साक्ष्य देकर जिलाधिकारी व प्रभारी नगर आयुक्त के. विजयेंद्र पांडियन से कार्यवाही की माग की थी। इसके बाद प्रभारी अधिकारी स्वास्थ्य आकांक्षा राना ने वाहनों की जाच कराई थी जिसमें डीजल चोरी का मामला सामने आया था।
चोरी रोकने के लिए लगाए गए थे 27 कर्मचारी डीजल चोरी रोकने के लिए नगर निगम ने 27 कर्मचारियों की पेट्रोल पंप पर ड्यूटी लगाई थी। इसके अलावा अधिकारी भी लगातार निगरानी करते रहे। कर्मचारियों ने पर्ची के मुताबिक गाड़ियों में तेल भरवाया। इस वजह से तेल की खपत में काफी कमी आ गई। निगम का मानना है कि इस व्यवस्था से साल भर में 3.4 करोड़ का तेल बचाया जा सकता है। महापौर ने पेश किया आंकड़ा महापौर सीताराम जायसवाल ने बताया कि नवंबर 2018 के सापेक्ष दिसंबर में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में 25 (31 फीसद) लाख रुपये का डीजल कम खर्च हुआ है।
जलकल तथा निर्माण विभाग के वाहनों में भी 3.70 लाख (सात फीसद) की कमी आई है। इस तरह दिसंबर में डीजल के मद में 28.30 लाख रुपये की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि डीजल भराने की व्यवस्था में किए गए बदलाव के बाद डीजल की खपत में काफी कमी आई है। चालकों व ठेकेदारों को नोटिस अधिक डीजल की खपत करने वाले चालकों तथा आउटसोर्सिग एजेंसी के ठेकेदार को प्रभारी स्वास्थ्य आकांक्षा राना ने नोटिस जारी किया है। सभी पर गबन व क्षति का आरोप लगा है।
आरोपियों को इसका जवाब देना है। यदि उन्होंने माकूल और संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो फिर उन पर कार्यवाही की जाएगी। वसूली भी हो सकती है। नोटिस जारी होते ही संबंधित के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी हैं। इसको विभाग में अफरा-तफरी का माहौल है। फिलहाल नोटिस के जवाब का इंतजार हो रहा है।
नगर निगम में सर्वाधिक डीजल की खपत स्वास्थ्य विभाग के वाहनों में होती है। महानगर के साफ-सफाई की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की ही है। डीजल चोरी की सबसे अधिक शिकायतें भी इसी विभाग में होती थीं। डीजल चोरी कर लोग अपनी जेब भर लिया करते थे। इससे हर माह नगर निगम को लाखों का नुकसान हो रहा था। डीजल चोरी की पोल पार्षदों ने खोली। पार्षदों को पता चला कि सिर्फ दो विभागों के अधिकारी और कर्मचारी डीजल चोरी कर रहे हैं। पार्षदों ने डीजल चोरी का साक्ष्य देकर जिलाधिकारी व प्रभारी नगर आयुक्त के. विजयेंद्र पांडियन से कार्यवाही की माग की थी। इसके बाद प्रभारी अधिकारी स्वास्थ्य आकांक्षा राना ने वाहनों की जाच कराई थी जिसमें डीजल चोरी का मामला सामने आया था।
चोरी रोकने के लिए लगाए गए थे 27 कर्मचारी डीजल चोरी रोकने के लिए नगर निगम ने 27 कर्मचारियों की पेट्रोल पंप पर ड्यूटी लगाई थी। इसके अलावा अधिकारी भी लगातार निगरानी करते रहे। कर्मचारियों ने पर्ची के मुताबिक गाड़ियों में तेल भरवाया। इस वजह से तेल की खपत में काफी कमी आ गई। निगम का मानना है कि इस व्यवस्था से साल भर में 3.4 करोड़ का तेल बचाया जा सकता है। महापौर ने पेश किया आंकड़ा महापौर सीताराम जायसवाल ने बताया कि नवंबर 2018 के सापेक्ष दिसंबर में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में 25 (31 फीसद) लाख रुपये का डीजल कम खर्च हुआ है।
जलकल तथा निर्माण विभाग के वाहनों में भी 3.70 लाख (सात फीसद) की कमी आई है। इस तरह दिसंबर में डीजल के मद में 28.30 लाख रुपये की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि डीजल भराने की व्यवस्था में किए गए बदलाव के बाद डीजल की खपत में काफी कमी आई है। चालकों व ठेकेदारों को नोटिस अधिक डीजल की खपत करने वाले चालकों तथा आउटसोर्सिग एजेंसी के ठेकेदार को प्रभारी स्वास्थ्य आकांक्षा राना ने नोटिस जारी किया है। सभी पर गबन व क्षति का आरोप लगा है।
आरोपियों को इसका जवाब देना है। यदि उन्होंने माकूल और संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो फिर उन पर कार्यवाही की जाएगी। वसूली भी हो सकती है। नोटिस जारी होते ही संबंधित के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी हैं। इसको विभाग में अफरा-तफरी का माहौल है। फिलहाल नोटिस के जवाब का इंतजार हो रहा है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें