देवोत्थान एकादशी बुधवार को, शुभ कार्यों की भी होगी शुरुआत Gorakhpur News
चतुर्मास के समापन पर शादी-विवाह आदि शुभ कार्यों का श्रीगणेश होगा। घरों में दीप जलाकर आंगन में चावल की रंगोली सजाने के साथ भगवान विष्णु का प्रतीक चिह्न बनाकर उसमें गन्ना सिंघाड़ा गंजी आदि रखकर भगवान का आह्वान कर समृद्धि की कामना की जाएगी।
गोरखपुर, जेएनएन। देव प्रबोधनी एकादशी पर श्रद्धालुओं द्वारा बुधवार को व्रत रख कर भगवान श्रीहरि नारायण यानी विष्णु की भक्तिभाव से विधिविधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाएगी। पर्व के एक दिन पूर्व मंगलवार को आस्थावानों ने पर्व के मद्देनजर शहर के साथ जनपद के विभिन्न बाजारों में सजी दुकानों पर व्रत में प्रयुक्त होने वाले सामग्री की खरीदारी की।
शुभ कार्यों का होगा श्रीगणेश
चतुर्मास के समापन पर शादी-विवाह आदि शुभ कार्यों का श्रीगणेश होगा। घरों में दीप जलाकर आंगन में चावल की रंगोली सजाने के साथ भगवान विष्णु का प्रतीक चिह्न बनाकर उसमें गन्ना, सिंघाड़ा, गंजी आदि रखकर भगवान का आह्वान कर समृद्धि की कामना की जाएगी। गन्ने की फसल को काटकर उत्पादन के साथ सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य रक्षा, धन, वैभव, यश, कीर्ति में वृद्धि की मंगलकामना की जाएगी।
दान-पुण्य की तैयारियां
सनातन हिंदू धर्म में व्रत, पर्व व त्यौहारों का काफी महत्व है। प्रत्येक मास में दो बार एकादशी पड़ती है, लेकिन कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी का महत्व अधिक है। पर्व पर घरों में दीप जलाकर आंगन में चावल की रंगोली सजाने के साथ ही भगवान विष्णु का प्रतीक चिह्न बनाकर उसमें गन्ना, सिंघाड़ा, गंजी आदि रखकर समृद्धि की कामना की जाती है। आचार्य व पंडित शास्त्रोचित तरीके से विधि-विधान पूर्वक श्रीहरिनारायण भगवान विष्णु की पूजा की तैयारी में जुटे हैं। घाटों पर स्नान-ध्यान, दान-पुण्य की तैयारियां चल रही हैं।
गन्ना, सिंघाड़ा, गंजी से पटे बाजार
एकादशी पर्व पर खलीलाबाद शहर के अलावा कस्बों के बाजारों में व्रत में प्रयुक्त होने वाले सामग्री की दुकानें सज गई हैं। बाजार में सुथनी, गंजी , सिंघाड़ा, गन्ना की मांग बढ़ गई है। खरीदारी की वजह से शहर व कस्बों के बाजारों में चहल-पहल है।
क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य
ज्योतिषाचार्य सुजीत श्रीवास्वत का कहना है कि देवशयनी एकादशी पर श्रीहरि पताललोक में शयन करके चार माह बाद देवोत्थान एकादशी की तिथि पर जागते हैं। देव उठावनी यानि उत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। अब शुभ कार्यों का सिलसिला प्रारंभ हो जाएगा। सात्विकता से व्रत व पूजन करने पर मानव यश व पुण्य का भागी बनता है। गायत्री शक्तिपीठ के आचार्य रमेश चंद्र दुबे का कहना है कि देवात्थान एकादशी का व्रत रहने से वर्ष भर के एकादशी का फल प्राप्त होता है। चतुर्मास के समापन पर दरिद्र नारायण को घर बेघर करके दीप जलाकर प्रभु का गुणगान करना फलदायी है।