चौरासी कोसी परिक्रमा का पहला पड़ाव मखौड़ा को विकास का इंतजार, ये है धार्मिक महत्व
मखौड़ा धाम का काफी महत्व है। यहीं पर राजा दशरत ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया था। सरकार ने विकास के लिए पैसा दिया पर अभी भी अविकसित है।
गोरखपुर, जेएनएन। श्रीराम सर्किट परियोजना पांच वर्ष में भी पूरी नहीं हो सकी। परियोजना के तहत बस्ती जनपद में मखौड़ा धाम के विकास की केंद्र सरकार की 6.40 करोड़ की परियोजना आज भी अधूरी है। राजा दशरथ के पुत्रकामेष्टि यज्ञ स्थल के नाम से देश-विदेश में प्रसिद्ध इस स्थान को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाना है। स्थान के महत्व को देखते हुए यज्ञ शाला को सुसज्जित करने, मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण, प्रकाश की व्यवस्था, शौचालय आदि का निर्माण करना था। इनमें से कुछ कार्य हो गए हैं तो कुछ को अब भी पूरा होने का इंतजार है।
यह कार्य अभी रह गए अधूरे
हम शुरू करते हैं मखौड़ा धाम में प्रवेश द्वार से। मंदिर परिसर के चारो तरफ ढाई सौ मीटर बाउंड्रीवाल बनाई जानी थी। जिसमें अभी तक मात्र 200 मीटर कार्य हुआ है। जितनी बाउंड्री बनी है उसका प्लास्टर व रंगरोगन हो गया है। शेष कब बनेगी कुछ पता नहीं है। श्रद्धालुओं के लिए 24 शौचालयों का निर्माण होना था जिसमें से 16 का निर्माण हुआ है। जिसमें पानी, बिजली की व्यवस्था पूरी हो चुकी है। शेष आठ का काम चल रहा है। मंदिर के निकट से सटे प्रवाहित मनोरमा नदी पर 400 मीटर घाट का निर्माण होना है। जिसमें से 80 मीटर का निर्माण हो गया है। शेष 320 मीटर का काम चल रहा है। मंदिर परिसर में रेन शेड का निर्माण पूरा हो गया है। इसके चारो तरफ जाली लगाने का काम आज भी अधूरा है। यज्ञशाला के सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो चुका है जाली लगाने का काम अधूरा है। 500 मीटर सीसी रोड का निर्माण हो गया है। 200 मीटर का निर्माण होना अभी शेष है। इंटर लाकिग व पार्किंग का काम अभी शुरू नहीं हो सका है। परिसर में सफाई की ²ष्टि से कचरे की 15 पेटियां भी रखी गईं हैं।
किसानों की जमीन में लगा दिया सोलर लैंप
मंदिर परिसर में कुल 40 सोलर लैंप लगाया गया है। इसमें से 32 मंदिर परिसर, घाट व कथा स्थल में तथा आठ सोलर लैंप नदी उस पार दूसरी तरफ लगाए गए हैं। नदी उस पार जहां सोलर लाइट लगाई गई है वहां किसानों की जमीन है। किसानों के एतराज करने पर जब जमीन की पैमाइश हुई तो सभी सोलर लाइटें किसानों के खेत में लगी पाई गईं। उनको उखाड़ने का आदेश दे दिया गया है। रात में बिजली रहे या न रहे मंदिर पर रोशनी रहती है।
चौरासी कोसी परिक्रमा का पहला पड़ाव
मखौड़ा धाम अयोध्या की चौरासीकोसी परिक्रमा का पहला पड़ाव स्थल है। चैत्र पूर्णिमा के दिन यहां मेला लगता है। बड़ी संख्या में संत व गृहस्थ यहां से वर्ष प्रतिपदा के दिन यात्रा प्रारंभ करते हैं। चूंकि यह स्थान भगवान राम के जन्म के निमित्त कराए गए पुत्र कामेष्टि यज्ञ से जुड़ा है इसलिए इसके प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है। यही वजह है कि चौरासीकोसी परिक्रमा की शुरुआत यहीं से होती है।
कार्य में हो रहा है विलंब: पुजारी
मंदिर के पुजारी सूर्य नारायण दास वैदिक का कहना है कि उम्मीद थी कि इस वर्ष प्रारंभ होने वाली चौरासीकोसी परिक्रमा से पूर्व यहां का कार्य पूरा हो जाएगा लेकिन कुछ ही काम पूरा हो सका है। अभी काफी काम शेष है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को जिस सुविधा की उम्मीद थी वह पूरी नहीं हो पाएगी। स्थान के महत्व को देखते हुए यहां अभी और भी कार्य कराए जाने चाहिए।
पूरा हो गए हैं अधिकांश काम
कार्यदायी संस्था टीसीआइएल (टेली कम्युनिकेशन इंडिया लि.) के प्रोजेक्ट मैनेजर जेयू खान का कहना है कि अधिकांश कार्य पूरे हो चुके हैं। ड्राइंग पास होने में विलंब के चलते घाट का काम समय पर पूरा नहीं हो पाया। शेष कार्यों को पूरा करने में अभी कुछ वक्त लगेगा।