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चीनी मिल के जीएम के खिलाफ आंदोलन से बढ़ता गया गिरिजा का मनोबल

देवरिया में सिलाई केंद्र चलाने वाली गिरिजा त्रिपाठी शुरू से ही दबंग रही। उसने सबसे पहले अपने पति के लिए चीनी मिल के महाप्रबंधक के खिलाफ आंदोलन किया। उसके आंदोलन के आगे महाप्रबंधक घुटने टेक दिए। उस आंदोलन की सफलता के बाद गिरिजा का मनोबल बढ़ता गया। उसके बाद उसने संस्था खेल ली और अधिकारियों भी उसके दबंगई रवैये से कुछ बोलने में कतराते रहे। वर्तमान में वह ऐसे मुकाम पर थी कि हर अधिकारी उसकी बात मानने को तैयार हो जाता रहा। इसलिए उस पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 09:53 AM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 09:53 AM (IST)
चीनी मिल के जीएम के खिलाफ आंदोलन से बढ़ता गया गिरिजा का मनोबल
चीनी मिल के जीएम के खिलाफ आंदोलन से बढ़ता गया गिरिजा का मनोबल

गोरखपुर : देवरिया में सिलाई केंद्र चलाने वाली गिरिजा त्रिपाठी शुरू से ही दबंग रही। चीनी मिल के जीएम के खिलाफ आंदोलन की सफलता के बाद उसका मनोबल बढ़ता गया। उसके बाद इसने संस्था खोली और मनमानी करती रही। अधिकारी भी कुछ बोलने में हिचकिचाते रहे। अवैध कारनामों के लिए वह पांच वर्ष पहले लाइट में तब आई जब अखबारों में सेक्स रैकेट चलने की खबरें प्रकाशित हुई। फिर भी अधिकारियों के कानों में जू तक नहीं रेंगा। मामला रफा-दफा कर दिया गया।

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खुखुंदू थाना क्षेत्र के ग्राम रुपई निवासी गिरिजा त्रिपाठी की शादी नूनखार निवासी मोहन तिवारी के साथ हुई। कहा जाता है कि भटनी चीनी मिल में नौकरी करते वक्त पति मोहन निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद गिरिजा ने पति को बहाल करने के लिए आंदोलन खड़ा कर दिया और धरना देने के साथ ही आत्मदाह करने की चेतावनी दे डाली। चीनी मिल के जीएम उस समय बैकफुट पर आ गए, जिसके बाद गिरिजा का मनोबल बढ़ गया। सिलाई केंद्र चलाने के साथ ही उसके हाथ लंबे हो गए और देवरिया में उसने संस्था खोल दी। इसके बाद अधिकारियों से उसकी नजदीकियां बढ़ी और धीरे-धीरे उसकी संस्था का विस्तार होता गया। कहा जाता है कि जब-जब कोई अधिकारी ने उसकी बात नहीं सुनी, तब-तब वह आंदोलन कर देती। जिलाधिकारी कार्यालय के सामने भी कई बार वह आंदोलन कर चुकी है। हर बार आत्मदाह की चेतावनी या फिर उच्चाधिकारियों के दबाव के चलते प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ता। इस बार भी एसपी को इसने आत्मदाह की चेतावनी दी थी, हालांकि एसपी का न तो उसके धमकी का असर पड़ा और न ही उच्चाधिकारियों का दबाव का।

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गिरिजा ही नहीं, पति मोहन भी रहा है माहिर

गिरिजा ही नहीं, उसका पति मोहन भी माहिर रहा है। मोहन चीनी मिल में पहले नंदनगर में काम करता था, वहां से स्थानांतरित होकर वह भटनी चीनी मिल में आया तो चीनी मिल के जीएम ओपी त्रिपाठी ने उसे अपने यहां ज्वाइन कराने से मना कर दिया। बाद में गिरिजा ने आंदोलन करने की धमकी दी तो जीएम ने ज्वाइन करा लिया। बाद में जीएम ने निलंबित किया। उसके बाद गिरिजा ने आंदोलन कर दिया। तब जीएम ने उसके पति को बहाल कर दिया। उनके बाद वहां पर दूसरे जीएम आए। उन्होंने भी उसे निलंबित कर दिया। कहा जा रहा है कि चीनी मिल में कार्य करते वक्त भी मोहन पर कई गंभीर आरोप लगे, लेकिन कभी गिरिजा त्रिपाठी के दबाव में तो कभी मोहन की बातों से अधिकारियों को झांसा देकर अपनी बहाली करा लेता।

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