कबीर की मजार पर पहली बार जले दीप, पहले सिर्फ समाधि पर जलते थे दीये, Gorakhpur News
कबीर चौरा के संत विचारदास लाल बाबा और मजार के मुतव्वली खादिम हुसैन अंसारी ने एक साथ मिलकर दीपावली मनाने की अपील की। नगर के लोग आगे आए और समाधि के साथ ही मजार को भी रोशन कर दिया।
गोरखपुर, जेएनएन। पूरे विश्व को शांति और समरसता का संदेश देने वाले महान संत कबीर की मजार पर पहली बार दीपावली मनी। मजार को सैकड़ों दीपों से सजाया गया। इतना ही नहीं कबीर की मस्जिद को भी लोगों ने रोशन किया। इससे पहले दीपावली पर कभी भी कबीर की मजार पर दीये नहीं जले थे।
कबीर की समाधि पर ही लोग दीपक सजाते थे। मजार उसी तरह पड़ा रहता था। कबीर चौरा के संत विचारदास, लाल बाबा और मजार के मुतव्वली खादिम हुसैन अंसारी ने एक साथ मिलकर दीपावली मनाने की अपील की। उसके बाद संतकबीर जनपद के मगहर नगर के लोग आगे आए और समाधि के साथ ही मजार को भी रोशन कर दिया। इससे पहले कभी भी मजार को दीपावली पर नहीं सजाया गया था। हर दीपावली पर मजार अंधेरे में ही रहती थी।
संतों ने बढ़ाए कदम तो आगे आए लोग
दीपोत्सव कार्यक्रम का नेतृत्व संत रामलखन दास उर्फ लाल बाबा ने किया। मगहर की चेयरमैन संगीता वर्मा, सैयद शमीम अहमद, आशीष छापड़यिा, रामअवध राय, शैलेंद्र सिंह, अरविन्द दास, केशव दास, डा. हरिशरण शास्त्री, विवेक दास के अलावा अन्य संतगण शामिल रहे। लोगों ने हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने व हर वर्ष सभी त्योहार मिलकर मनाने की शपथ ली।
यह बेहतर प्रयास
महंत विचारदास का कहना है कि कबीर साहेब ने जो मार्ग दर्शन किया है, उस पर सभी को चलने की जरूरत है। इसी से शांति और आपसी भाईचार की भावना बढ़ेगी। दीपावली पर मजार को रोशन करना एक बेहतर पहल है।
परंपरा कायम रहने की उम्मीद
कबीर पंथी संत राम लखन उर्फ लाल बाबा का कहना है कि कबीर साहब ने पूरे विश्व को प्रेम, सद्भावना का संदेश दिया है। इनकी वाणियों व दिखाए गए रास्ते पर चलने पर ही पूरे विश्व में शांति, प्यार की भावना विकसित होगी। मुतवल्ली खादिम चौधरी का कहना है कि कबीर हिंदू के भी हैं और मुस्लिम के भी। इनके प्रति सभी की आस्था है। इनके आदर्शों को मानने वाले न केवल देश में अपितु विश्व में अनुयायी हैं। पहली बार कबीर की मजार पर दीपावली मनी है। हम चाहते हैं कि अब यह परंपरा कायम रहे।