सिद्धार्थनगर में DBT के धीमी प्रगति पर बीएसए खफा, 256 विद्यालयों के शिक्षकों का रोका वेतन
सिद्धार्थनगर जिले के 2262 प्राथमिक उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालय में तीन लाख से ज्यादा बच्चे पंजीकृत हैं। इन स्कूलों में बच्चों को ड्रेस जूते व बैग सहित अन्य वस्तुएं प्रदान की जाती हैं। इसके लिए आधार सत्यापन अनिवार्य किया गया है।
सिद्धार्थनगर, जागरण संवाददाता। सिद्धार्थनगर जिले में परिषदीय स्कूलों के बच्चों की डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) शिक्षकों के लिए गले की फांस बन गया है। तमाम कवायद के बाद भी पोर्टल पर बड़ी संख्या में अभी बच्चों के आधार का सत्यापन नहीं हो सका है। अपेक्षाकृत कम डीबीटी कराने वाले 256 स्कूलों के प्रधानाध्यापक सहित सभी शिक्षकों का वेतन अग्रिम आदेश तक बाधित कर विभाग ने जवाब मांगा है।
तीन लाख से अधिक बच्चे हैं पंजीकृत
जिले के 2262 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालय में तीन लाख से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं। जहां कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को सरकार दो जोड़ी ड्रेस, एक स्वेटर, एक जूता, दो जोड़ी मोजे और एक बैग प्रदान करती है। 2020 तक यूनिफार्म की राशि विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में भेजी जाती थी और जूते-मोजे, स्वेटर व बैग प्रदेश स्तर से उपलब्ध कराया जाता रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण सरकार ने सीधे अभिभावकों के बैंक खाते में यह राशि भेजने की व्यवस्था शुरू किया। 2021 में किसी तरह सभी बच्चों के खाते में यह रकम भेजी गई। लेकिन इस वर्ष सभी बच्चों के आधार सत्यापन को अनिवार्य कर दिया गया है।
पोर्टल पर सत्यापन के बाद ही भेजी जा रही धनराशि
पोर्टल पर सत्यापन होने के बाद ही शासन स्तर से 1200 रुपये की धनराशि भेजी जा रही है। शासन प्राथमिकता के आधार पर 15 अगस्त से पूर्व अभिभावकों के खाते में यह धनराशि भेजना चाहता है परंतु बड़ी संख्या में बच्चों का आधार सत्यापन न होने से समस्या आ रही है। समीक्षा में जनपद के 256 विद्यालयों में बच्चों के आधार सत्यापन की स्थिति काफी खराब है। इसे गंभीरता से लेते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र कुमार पांडेय ने इन विद्यालयों के प्रधानाध्यापक सहित सभी शिक्षकों का वेतन रोकते हुए आधार सत्यापन शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है।
कार्रवाई के जद में आए हैं ये लोग
इस कार्रवाई की जद में सबसे अधिक खुनियांव के 55 व इटवा के 45 विद्यालय आए हैं। इसके अलावा नौगढ़ व भनवापुर के 21, उसका व जोगिया के दस -दस, बांसी के नौ, लोटन व मिठवल के पांच -पांच, खेसरहा के 19, डुमरियागंज के 13, बर्डपुर के 23, व बढ़नी के 20 विद्यालय सम्मिलित हैं।
शिक्षको ने बताई ये है बड़ी वजह
दूसरी तरफ शिक्षकों का कहना है कि अभिभावकों की उदासीनता से बच्चों का आधार नहीं बन पा रहा है। साथ ही कई छोटे बच्चों के अंगुली की रेखाओं को आधार बनाने वाला सिस्टम स्कैन नहीं कर पा रहा है। इस कारण समस्या आ रही है।