बतकही/ होर्डिंग देख बैकफुट पर आयी पुलिस Gorakhpur News
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सतीश कुमार पांडेय, गोरखपुर। नए कप्तान ने बदमाशों की धरपकड़ के लिए जिले में अभियान चलाया है। हिस्ट्रीशीटर, गैंगेस्टर, लुटेरे, चोर के साथ ही पेशेवर बदमाशों का थानेदार व चौकी प्रभारी सत्यापन कर रहे हैं। छोटे बदमाशों को पकड़कर पुलिस जेल भेज रही है लेकिन शातिरों ने बचने की तरकीब ढूंढ ली है। पुलिस उन्हें परेशान न करे इसलिए राजनीति आकाओं की शरण में चले गए हैं। कुछ ने तो अपने थानाक्षेत्र के साथ ही शहर के प्रमुख स्थानों पर प्रभावशाली नेताओं के साथ अपनी फोटो वाला होर्डिंग लगवा दिया है। जिसे देखने के बाद पुलिस बैकफुट पर आ गई है। नेताजी नाराज न हो जाए इसलिए थानेदार, चौकी प्रभारी व हल्का सिपाही भी इन शातिरों के घर जाने से परहेज कर रहे हैं। पुलिस से बचने का यह तरकीब मालूम होने के बाद बदमाशों में जिले व अपने इलाके के प्रभावशाली नेता के साथ अपनी होर्डिंग लगाने की होड़ मची है।
ताल में लगी आग, ट्रैफिक वाले साहब बेहाल
ताल वाले इलाके को नया थाना बनाने का मूल उद्देश्य था कि यहां क्राइम कंट्रोल रहे। कुछ दिन पहले इलाके की जिम्मेदारी चौराहों का ट्रैफिक संभालने वाले साहब को दे दी गई तभी से यहां की व्यवस्था चरमरा गई है। रेड सिगनल और ग्रीन सिगनल के बीच उलझे भार साधक अधिकारी गोलियों की तडतडाहट नहीं रोक पा रहे हैं। जब देखो तब फायरिंग की घटनाएं हो जा रही है। हालत यह हो गई है एक तरफ का मामला संभालते हैं तो दूसरी ओर व्यवस्था पटरी से उतर जाती है। साहब हैरान है कि ऐसा क्या करें जिससे मनबढ़ो पर लगाम कस जाए। कभी अपहरण तो कभी गाड़ियों की टक्कर को लेकर परेशान रहते हैं। पहली बार चार्ज संभाले हैं यह कहकर उनकी गलतियों को नजरअंदाज किया जा रहा है। चर्चा है कि उनकी कार्यप्रणाली से नए वाले साहब नाराज है अगर किसी दिन उनकी वक्र दृष्टि पड़ गई तो छोटे वाले साहब यार्ड में नजर आएंगे।
सीढ़ी लेकर घूम रही पुलिस
अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए पुलिस हर तरह की हिकमत-अमली करती ही रहती है। एक दौर था जब पुलिस का 'चप्पल ट्रिटमेंट' लोगों के बीच चर्चा का विषय और अपराधियों के लिए दहशत का सबब था। तब विजय कुमार एसएसपी थे। उस समय पुलिस, बदमाशों की 'खातिरदारी' चप्पल से करती थी। इस समय पुलिस की सीढ़ी चर्चा का विषय बन गई है। दबिश में जाते समय पुलिस वाले आजकल सीढ़ी भी अपने साथ ले जा रहे हैं। ताकि बदमाश, सीढ़ी के रास्ते भागने की सोचे, इससे पहले ही पुलिस वाले छत पर मौजूद रहें। पार्षद सौरभ विश्वकर्मा और उसके भाई चंदन के घर दबिश पडऩे के बाद से ही पुलिस की सीढ़ी चर्चा में आई है। पार्षद और उसके भाई के घर में घुसने से पहले ही साथ लाई सीढ़ी की मदद से पुलिस वाले उनके और आसपास के घरों की छत पर पहुंचकर मोर्चा संभाल लिए थे।