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तीसरी नजर - साहब की सख्ती, मातहतों की मुश्किल Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर से नवनीत प्रकाश त्रिपाठी का साप्‍ताहिक कॉलम - तीसरी नजर...

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 01:02 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 01:02 PM (IST)
तीसरी नजर - साहब की सख्ती, मातहतों की मुश्किल Gorakhpur News
तीसरी नजर - साहब की सख्ती, मातहतों की मुश्किल Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। वर्दी वाले महकमे के मंडल वाले साहब की सख्ती मातहतों के बीच इन दिनों चर्चा में है। पिछले दिनों माह भर में हुए काम-काज की समीक्षा थी। जिले भर के अधिकारी और इलाकाई प्रभारी समीक्षा बैठक में मौजूद थे। बीच में ही मंडल वाले साहब भी पहुंच गए और काम-काज की समीक्षा करने लगे। अपने काम को बेहतर दिखाने के लिए इलाकाई प्रभारी आंकड़ों को ऊपर-नीचे कर खुद का बेहतरीन रिपोर्ट कार्ड बनाकर लाए थे। रिपोर्ट कार्ड पर सरसरी नजर डालते ही मंडल वाले साहब ने आंकड़ों की बाजीगरी पकड़ ली। इतने नाराज हुए कि उन्होंने सभी इलाकाई प्रभारियों को इधर से उधर करने का निर्देश दे डाला। साहब के इस तेवर से सभी सकते में आ गए। कई को अपनी कुर्सी हिलती नजर आने लगी है। किसी की समझ में नहीं आ रहा, क्या करें? साहब के तेवर से इलाकाई प्रभारी मुश्किल में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं।

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भारी पड़ा खाकी का रौब

वैसे तो खादी का जलवा भी कम नहीं होता। खासकर तब जब हुकूमत अपनी हो तो जलवे का जवाब नहीं होता। किसी की परवाह नहीं रहती। जो चाहे सो करने का लाइसेंस मिल जाता है। लेकिन कभी-कभी यह दबंगई भारी भी पड़ जाती है। खासकर तब जब सामने कोई खाकी वाला हो। बात दो दिन पहले की है। चुनाव जीतकर लखनऊ पहुंचे एक नेताजी के कुछ खासमखास उनकी गाड़ी में सवार होकर रात में पैडलेगंज चौराहे पर गए। सड़क किनारे गाड़ी खड़ी कर दी। अंदर तीन-चार लोग मौजूद थे। गाड़ी को ही उन्होंने बार मान लिया। बोतल खुली और गिलास लडऩे लगी। इसी बीच वर्दी वाले महकमे के शहर वाले साहब चौराहे पर पहुंच गए। नेताजी की गाड़ी के अंदर कुछ लोगों को जाम छलकाते उन्होंने देख लिया। मातहतों से कहकर नेताजी की गाड़ी सीज करा दी। गाड़ी सवार खादी रौब झाड़ते रह गए, लेकिन खाकी रौब भारी पड़ गया।

कटप्पा बिन सब सून

साल भर पहले आई फिल्म बाहुबली को खूब शोहरत मिली थी और फिल्म से अधिक चर्चित हुआ था उसका पात्र कटप्पा। फिल्म देखकर निकलने वाले एक-दूसरे से यही सवाल पूछते दिख जाते थे कि बाहुबली को कटप्पा ने आखिर क्यों मारा? इस सवाल का जवाब मिला या नहीं, यह तो नहीं मालूम लेकिन शहर का सबसे अहम थाना कटप्पा के बिना सूना पड़ गया है। कटप्पा की याद आते ही उदासी छा जाती है। दरअसल कुछ दिन पहले थाने में होमगार्ड के एक जवान की तैनाती हुई। लंबी-चौड़ी कद-काठी थी। किसी ने कह दिया कि देखने में कटप्पा जैसा लगता है। तभी से लोग उसे कटप्पा कहकर बुलाने लगे। कटप्पा पानी लाओ, कटप्पा भूजा लाओ, कटप्पा ये करो, कटप्पा वो करो... का जुमला थाने में दिन भर सुनाई देता रहता। कुछ दिन पहले कटप्पा को दूसरी जगह भेज दिया गया। तभी से थाने में सब कुछ सूना-सूना हो गया है।

रफ्तार पर लगाम लगाएं जनाब

हाईवे पर तेज रफ्तार की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। लोगों की जान जा रही है। इसके बाद भी रफ्तार पर लगाम नहीं लग पा रही है। एक तरफ वाहन चलाने वालों को अपनी जान की परवाह नहीं है, तो दूसरी तरफ निर्धारित गति सीमा में गाड़ी चलाने के कानून का पालन करने वाले विभाग यह जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं हैं। अधिकतम रफ्तार से गाड़ी चलाकर गंतव्य तक पहुंचने का जुनून जानलेवा साबित हो रहा है। रफ्तार पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी एनएचएआइ और यातायात पुलिस पर है, लेकिन दोनों विभाग इससे पल्ला झाड़ ले रहे हैं। यातायात पुलिस मानती है कि रफ्तार पर कार्रवाई करना उसकी जिम्मेदारी है, लेकिन इसके लिए एनएचएआइ के संसाधन मुहैया कराने पर ही ऐसा करने की बात कहती है। एनएचएआइ संसाधन मुहैया कराने को तैयार नहीं है। इस उठापटक के बीच लोगों की जान की परवाह किसी को नहीं है।


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