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परंपरा के बजाार में उमड़ी खरीदारों की भीड़, इस बार देशी झालरों व दीया पर जोर

Dhanteras 2021 धनतेरस पर लगभग हर चौराहे पर सड़क की पटरियाें पर परंपरा का बाजार सजा था। खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। देर रात तक बाजारों में चहल-पहल बनी रही। बर्तन बाजार पर महंगाई की मार के बावजूद हर दुकान पर ग्राहकों की भीड़ थी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 03 Nov 2021 09:43 AM (IST)Updated: Wed, 03 Nov 2021 09:43 AM (IST)
परंपरा के बजाार में उमड़ी खरीदारों की भीड़, इस बार देशी झालरों व दीया पर जोर
धनतेरस पर खरीदारी करतीं मह‍िलाएं। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। धनतेरस पर खरीदारी कर जहां लोगों ने समृद्धि की कामना की। वहीं धन की देवी मां लक्ष्मी का दरबार भी सजा। जयघोष गूंज रहा था। पूजन-अर्चन व आरती से माहौल भक्तिमय था। लगभग हर चौराहे पर सड़क की पटरियाें पर परंपरा का बाजार सजा था। खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। देर रात तक बाजारों में चहल-पहल बनी रही।

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दीपावली के अग्रदूत पर्व धनतेरस के दिन बाजार में आस्था उमड़ पड़ी थी। खरीदारी व दीपदान के साथ यह पर्व परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया गया। लगभग हर चौराहे पर सड़क की पटरियां बाजार में तब्दील हो चुकी थीं। इस दिन खरीदारी की परंपरा है जिसका निर्वाह हर हिंदू परिवार ने किया। बर्तन बाजार पर महंगाई की मार के बावजूद हर दुकान पर ग्राहकों की भीड़ थी। सबसे छोटी गिलास (चाय वाली) 25 रुपए और उससे बड़ी गिलास 45-65 रुपए में थी। खरीदार मुख्यत: दो तरह के आए थे। एक वे जिनके पास अकूत पैसा था और मनमाना खरीदारी की। दूसरे वे खासतौर से मजदूर वर्ग जिनके लिए धनतेरस पसंदीदा सामान खरीदने का पर्व नहीं था, वे चम्मच, कटोरी या गिलास खरीद कर अपनी परंपरा का निर्वाह किए।

मंत्रोच्चार के बीच स्थापित हुई मां लक्ष्मी की मूर्तियां

दूसरी तरफ मां लक्ष्मी की मूर्तियां पंडालों में स्थापित की गईं। पूजन-अर्चन के बीच प्राण-प्रतिष्ठा हुई। मंत्रोच्चार से माहौल भक्ति से ओतप्रोत था। पूजा पंडालों को सतरंगी रोशनी से सजाया गया है। जलते-बुझते छोटे-छोटे सतरंगी बल्ब माहौल को खुशनुमा बना रहे थे। पूजा पंडालों के आसपास की सड़कों पर भी बल्ब लगाए गए हैं। देवी गीत के स्वर गूंज रहे थे। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन को उमड़े। मां का दर्शन-पूजन कर अपनी आस्था व श्रद्धा अर्पित की। कूड़ाघाट, मोहद्दीपुर, रुस्तमपुर, तारामंडल, असुरन, सिविल लाइंस, गोलघर, पुर्दिलपुर, बक्शीपुर, आर्यनगर, दीवान बाजार, मेडिकल कालेज रोड सहित महानगर में जगह-जगह स्थापित मां लक्ष्मी की मूर्तियां श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहीं।

खूब बिकीं गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां

धनतेरस के दिन दुकानों पर बड़ी भीड़ उमड़ी। मां लक्ष्मी- गणेश व कुबेर की मूर्तियों की मांग सबसे ज्यादा रही। उसमें लोगों की पहली पसंद टेराकोटा की मूर्तियां रहीं। प्लास्टर आफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों की मांग बाजार में सबसे कम रही। गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति के बाद सबसे ज्यादा मांग कुबेर की और उसके बाद हनुमानजी की मूर्ति की रही।

रंगोली की दुकानों पर उमड़ी भीड़

बाजार में रंग-बिरंगी रंगोली व स्टीकर की दुकानों पर लोगों की भीड़ देखी गई। सांचे वाली रंगोली आकर्षण का केंद्र रही। माता लक्ष्मी का स्टीकर, घर की सजावट के लिए मोती की माला, प्लास्टिक के कलश औैर अन्य तरह के माला की खरीदारी की गई।

देशी झालरों व दीया पर जोर

दीपावली के त्योहार में दीया और बाती का अलग ही महत्व है। लोगों ने देशी झालरों व दीया को तवज्जो दी। बर्तन व अन्य सामान के साथ देशी झालरों व दीया की भी खरीदारी की।

खूब बिका लावा व चीनी मिठाई

दीपावली में लक्ष्मी- गणेश की पूजा व गोवर्धन पूजा के लिए लोगों ने लावा, चीनी मिठाई की खरीदारी की। घोड़े, हाथी, मंदिर आदि के आकार में बनी चीनी मिठाइयों की बड़ी संख्या में दुकानें सजीं रहीं।

मिठाई की दुकानों पर रही भीड़

बाजार में मिठाई की दुकानों पर भी भीड़ लगी रही। लोगों ने मनपसंद मिठाई की खरीदारी की और एक-दूसरे को उपहार दिया। सूखे मेवे से तैयार मिठाइयों की मांग सबसे ज्यादा रही। ब्रांडेड कंपनियों के गिफ्ट पैक, बेसन व बूंदी लड्डू की भी खरीदारी हुई।

द्वार पर जले दीप, जलाई फुलझड़ियां

घर के दरवाजों व देव स्थानों पर दीये जलाए गए। बच्चों ने फुलझड़ियां जलाई। घरों व दुकानों को विद्युत झालरों व विविध आकर्षक बिजली उपकरणों से सजाया गया है।

नरक चतुर्दशी आज

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी अर्थात बुधवार को छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी। इस दिन यम के निमित्त घर के बाहर दीपदान किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। यह जानकारी पं. शरद चंद्र मिश्र व पं. नरेंद्र उपाध्याय ने दी है। उन्होंने बताया कि पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को इसी दिन मारकर पृथ्वी वासियों को उसके भय से मुक्ति दिलाई थी।


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