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गोरखपुर-बस्‍ती मंडल के पांच हजार लोगों की नौकरी पर संकट, बेरोजगार होकर वापस आने का भय Gorakhpur News

कुवैत में तकरीबन पांच हजार लोग गोरखपुर व बस्ती मंडल के हैं जिन्‍हें बेरोजगार होकर वापस लौटने का भय सता रहा है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 09:30 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 09:33 AM (IST)
गोरखपुर-बस्‍ती मंडल के पांच हजार लोगों की नौकरी पर संकट, बेरोजगार होकर वापस आने का भय Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कुवैत सरकार ने हाल में ही प्रवासी नागरिकों की संख्या कम करने के लिए एक विधेयक के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है। यदि यह कानून पारित हो जाता है तो कम से कम आठ लाख भारतीयों को देश छोडऩा पड़ सकता है। तकरीबन पांच हजार लोग गोरखपुर व बस्ती मंडल के हैं, जो बेरोजगार होकर लौटेंगे। ये लोग कई वर्षों से कुवैत में विभिन्न सेक्टरों में नौकरी कर रहे हैं। खाड़ी देशों के मुकाबले कुवैत में वेतन ज्यादा मिलता है। इसलिए बीते कुछ वर्षों से कुवैत जाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

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गोरखपुर के अलावा, देवरिया, बस्ती, महराजगंज, कुशीनगर एवं सिद्धार्थनगर आदि जिलों से बड़ी संख्या में युवा सऊदी अरब, यूएई, कतर और कुवैत में नौकरी करते हैं। बीते पांच वर्षो सऊदी अरब और यूएई में नौकरियां कम हुई तो कामगारों ने कतर और कुवैत का रुख कर लिया। सबसे ज्यादा लोग कुवैत की पेट्रोलियम कंपनियों में नौकरी करते हैं, लेकिन वहां की हुकूमत के एक फैसले से सभी मुश्किल में आ गए हैं।

कुवैत में प्लानिंग इंजीनियर रह चुके मोहम्मद कैफी आजम ने बताया कि सिर्फ कुवैत ही नहीं बल्कि सभी खाड़ी देशों की स्थिति खराब है। लगातार कच्चे तेल की कीमतों में कमी के कारण रोजगार में कमी आई है। वहां काम करने वालों को निकाला जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षो में सऊदी अरब और यूएई जाने के बजाए लोग कतर और कुवैत जाना ज्यादा पंसद कर रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे वहां रोजगार खत्म हो रहा है। आशियाना ट्रेवल्स एंड टूर प्राइवेट लिमिटेड के संचालक सिराजुल हक ने बताया कि कुवैत में अन्य देशों की तुलना में वेतन ज्यादा मिलता था इसलिए पढ़े-लिखे युवा अब वहां जाना पसंद कर रहे थे। अगर नए मसौदे को अमल में लाया गया तो लाखों लोगों की नौकरी चली जाएगी।

क्या है कुवैत संकट

कुवैत की नेशनल एसेंबली की कानूनी और विधायी समिति ने प्रवासी कोटा बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी है। इसके तहत प्रवासी भारतीयों (किसी भी एक देश के प्रवासियों की संख्या) की संख्या कुवैत की आबादी के 15 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अभी इस बिल को संबंधित समिति के पास विचार के लिए भेजा जाएगा। अगर बिल पास हो जाता है तो करीब आठ लाख भारतीयों को कुवैत छोडऩा पड़ सकता है। यहां के प्रवासी समुदाय में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की है। कुवैत की कुल आबादी 43 लाख है जिसमें से 30 लाख प्रवासी हैं यानि कि कुल प्रवासियों में 14.5 लाख भारतीय हैं। बिल पास होने पर भारतीयों की संख्या 6.5 लाख तक सीमित कर दी जाएगी। वहीं भारत सरकार को रेमिटेंस (वहां के प्रवासी जो पैसा अपने घर भेजते हैं) के रूप में बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। कुवैत के प्रवासी भारतीयों से भारत को अच्छा खासा रेमिटेंस मिलता है।


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