Move to Jagran APP

घर बैठे ग्राहकों को पहुंचाया कास्मेटिक सामान तो मजबूत हुई रिश्तों की डोर Gorakhpur News

कोरोनाकाल सौंदर्य प्रसाधन का व्यवसाय प्रभावित होने से कई व्यापारियों के समक्ष आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई थी। इसी बीच कुछ लोग ऐसे भी रहे जिन्होंने इस आपदा को अवसर में बदलकर दिखाया और अपने व्‍यापार को बचाया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 08:04 AM (IST)
घर बैठे ग्राहकों को पहुंचाया कास्मेटिक सामान तो मजबूत हुई रिश्तों की डोर  Gorakhpur News
कोरोना काल में दुकानदरों ने घर-घर पहुंचाया सामान। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोनाकाल कॉस्मेटिक्स (सौंदर्य प्रसाधन) के व्यापारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। व्यवसाय प्रभावित होने से कई व्यापारियों के समक्ष आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई थी। इसी बीच कुछ लोग ऐसे भी रहे, जिन्होंने इस आपदा को अवसर में बदलकर दिखाया। कुछ नया करने के जज्बे से उनके व्यापार का पहिया थमने की बजाय दौड़ता रहा। 

loksabha election banner

हम बात करते हुए हैं गोलघर स्थित श्रृंगार भवन के संचालक फहीम अहमद की। पिछले 58 वर्षों से ग्राहकों के विश्वास पर की बदौलत अपने व्यापार को ऊंचाई देने का अभियान कोरोनाकाल में भी जारी रखा। ग्राहकों की जरूरतों को समझा। कोरोना के डर से दुकान तक नहीं आने वाले अपने पुराने ग्राहकों के विश्वास को जीतते हुए उन तक सामान पहुंचाया। गूगल के जरिये डिजिटल भुगतान लिया। इस तरह न सिर्फ वह ग्राहकों का विश्वास जीतने में सफल रहे बल्कि पहले से भी अधिक अपने व ग्राहकों के बीच के रिश्तों की डोर को मजबूत किया।

फहीम बताते हैं कि वर्ष 1962 में यह दुकान खुली। आज दूसरी पीढ़ी संभाल रही हैं। हमारे कई ग्राहक ऐसे हैं, जो जब से दुकान खुली है तब से यही से सामान ले जाते हैं।

कोरोनाकाल में कई ऐसे ग्राहक हैं तो पहली बार हमसे जुड़े। इन ग्राहकों ने हमे बताया कि इन्हें सौंदर्य प्रसाधन के सामानों की आवश्यकता थी। इसलिए अच्छे दुकान की तलाश कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने गूगल मैप पर दुकान का नाम सर्च किया और वह इसके जरिये दुकान पर पहुंच गए। जो किसी कारण दुकान पर आने को तैयार नहीं थे, उन्होंने वाट््सएप काल के जरिये अपने प्रोडक्ट पंसद किए और उनका डिजिटल भुगतान किया। इसके बाद उनके द्वारा खरीदारी किए शैंपू, तेल व अन्य सामानों को उनके घरों तक भिजवाया। जहां तक संभव हुआ मैंने अपने ग्राहकों को संतुष्ट किया और इस प्रकार कोरोनाकाल में भी मेरे कारोबार को रफ्तार मिली। अब स्थिति सामान्य हो गई है। धीरे-धीरे ग्राहक अब दुकान पर आकर सामान लेने लगे हैं।

कारोबार के साथ नियम पर भी ध्यान

श्रृंगार भवन के संचालक फहीम अहमद ने बताया कि कोरोनाकाल को देखते हुए कारोबार के साथ ग्राहकों की सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सभी नियमों का पालन किया जा रहा है। दुकान के अंदर फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है। ग्राहकों की भीड़ नहीं होने दी जा रही है। बिना मास्क के किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। दुकान के बाहर ही एक पोस्टर चस्पा कर दिया गया है कि बिना मास्क के दुकान के अंदर आने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा सैनिटाइजर से ग्राहकों के हाथ भी धुलवाएं जाते हैं, ताकि संक्रमण का खतरा न रहे। सबसे खास बात यह है कि ग्राहक भी हमारे साथ इस कार्य में सहयोग कर रहे।

पुराने ग्राहक फोन से करते संपर्क

मेरे कई ऐसे ग्राहक हैं, जिनसे हमारे अभी भी अटूट रिश्ते हैं। वह शहर में रहे या बाहर जाएं, कास्मेटिक सामान हमारे ही दुकान से लेते हैं। वह आज भी हमारे उपर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं। उन्हें पूर्ण विश्वास रहता है कि श्रृंगार भवन में सौंदर्य प्रसाधन से जुड़े जो भी सामान मिलेंगे वह ब्रांडेड व सही मिलेंगे। इसी तरह के दर्जनों ग्राहकों ने कोरोनाकाल में बिना दुकान आए खरीदारी की। वह हमें फोन कर या फिर वाट््सएप पर सामानों की सूची भेज देते थे। जहां तक संभव होता था मैं उन्हें उनके पंसद के सामान उपलब्ध कराता था। यदि किसी कारणवश कोई सामान मेरे दुकान में उपलब्ध नहीं होता था तो उसे हम अन्य दुकानों से मंगाकर उपलब्ध कराते थे, ताकि हमारा और ग्राहक का साथ हमेशा बरकरार रहे। ग्राहकों ने इसे स्वीकार किया। नतीजतन लगातार हमारे ग्राहक संख्या में वृद्धि होती गई। हमें हमेशा उम्मीद रहती है कि जो ग्राहक हमारे हैं वह सिर्फ हमारे ही रहेंगे। किसी और दुकान पर सामान लेने नहीं जाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.