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Coronavirus Third wave Alert in Gorakhpur: तीसरी लहर में कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट काफी खतरनाक, बढ़ सकती है संक्रमण दर

डा.अशोक पांडेय का कहना है कि हमारे शरीर के भीतर बनी या बाहर जो मोनोक्लोनल एंटीबाडी बनाई गई है वह स्पाइक प्रोटीन के ही खिलाफ है। वायरस ने स्पाइक प्रोटीन में ही बदलाव कर लिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि एंटीबाडी इस वायरस के खिलाफ काम नहीं करेगी।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 02:43 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 06:43 PM (IST)
कोरोना संक्रमण का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। तीसरी लहर में कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट काफी खतरनाक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों ने प्रारंभिक अध्ययन के बाद अनुमान लगाया है कि इसकी संक्रमण दर ज्यादा होगी। इस पर एंटीबाडी या तो काम नहीं करेगी या फिर बहुत कम काम करेगी, इसलिए कोविड प्रोटोकाल ही इस वेरिएंट में एंटीबाडी का काम करेगा। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि कोरोना कम भले हुआ है, बचाव व सतर्कता बहुत जरूरी है। नौ देशों व भारत के तीन राज्यों में डेल्टा प्लस की दस्तक सुनाई दे रही है, इसलिए इसे जिले में आने में देर नहीं लगेगी।

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स्पाइक प्रोटीन में बदलाव कर कोरोना ने क्षमता बढ़ाई

दूसरी लहर में तबाही मचाने के बाद कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) ने अपना स्वरूप बदल लिया है। बदले स्वरूप को विशेषज्ञों ने डेल्टा प्लस (के 417 एन) नाम दिया है। क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) के वायरोलाजिस्ट डा.अशोक पांडेय का कहना है कि डेल्टा ने अपने स्पाइक प्रोटीन (ऊपरी सतह) में बदलाव किया है, जिसके माध्यम से वह शरीर में प्रवेश करता है। यह बदलाव कर उसने अपनी क्षमता बढ़ा ली है, इसलिए वह तेजी के साथ शरीर में प्रवेश कर सकता है। इससे संक्रमण की दर बढ़ सकती है। विशेषज्ञों ने यह भी अनुमान लगाया है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट पर शरीर में बनने वाली तथा बाहर बनाई गई मोनोक्लोनल एंटीबाडी काम नहीं करेगी या तो बहुत कम काम करेगी, इसलिए इसकी मारक क्षमता ज्यादा हो सकती है। वैक्सीन इस वेरिएंट के लिए कितना प्रभावी होगी, इस पर अभी अध्ययन चल रहा है।

त्योहारों में दस्तक दे सकता है डेल्टा प्लस

अगस्त में रक्षाबंधन व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, अक्टूबर में दशहरा व दुर्गा पूजा, नवंबर में दीपावली व छठ पूजा में दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में लोग जिले में आ सकते हैं। दूसरी लहर भी प्रवासियों के साथ ही जिले में आयी थी, इसलिए सतर्कता बहुत जरूरी है।

आरएमआरसी के वायरोलाजिस्ट डा.अशोक पांडेय का कहना है कि हमारे शरीर के भीतर बनी या बाहर जो मोनोक्लोनल एंटीबाडी बनाई गई है, वह स्पाइक प्रोटीन के ही खिलाफ है। वायरस ने स्पाइक प्रोटीन में ही बदलाव कर लिया है, इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि एंटीबाडी इस वायरस के खिलाफ काम नहीं करेगी। ऐसे में अभी से सतर्कता बरतने की जरूरत है।


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