कोरोना ने तोड़ दी होटल व्यवसायियों की कमर, कई होटलों-गेस्ट हाउसों पर लग गया ताला Gorakhpur News
पूर्वांचल के होटल व्यवसायियों की कमर कोरोना वायरस ने तोड़ दी है। गोरखपुर में कई होटलों-गेस्ट हाउस पर ताला लग गया है।
दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर। कोरोना संक्रमण ने होटल और गेस्ट हाउस उद्योग की कमर तोड़ दी है। अनलॉक में होटल खुले लेकिन कोई आ नहीं रहा है। गेस्ट हाउस भी बंद पड़े हैं। 60 फीसद से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी के बाद भी घर से रुपये लगाकर सफाई और बिजली का फिक्स चार्ज देना पड़ रहा है। होटल वाले तो भविष्य को लेकर असमंजस में हैं लेकिन गेस्ट हाउस वालों ने कमरों को छात्रावास के रूप में इस्तेमाल करने का मन बनाना शुरू कर दिया है। तर्क है कि कुछ दिनों बाद पढ़ाई शुरू होगी तो छात्र आकर रहेंगे इससे गेस्ट हाउस के जरूरी खर्चे तो निकलने लगेंगे। लॉकडाउन की शुरुआत के साथ ही होटलों और गेस्ट हाउसों पर ताला लग गया। दो महीने बाद अनलॉक एक में होटलों व गेस्ट हाउसों को खोलने का आदेश हुआ लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों ने मुंह मोड़ लिया। अब आलम है कि ज्यादातर की बोहनी तक नहीं हो रही है।
रेस्टोरेंट भी नहीं चल रहे
सभी बड़े होटलों में रेस्टोरेंट खुले हैं लेकिन यहां बैठकर खाने की सुविधा न होने के कारण ग्राहक कम हैं। कोरोना संक्रमण के कारण वही लोग भोजन पैक कराने आते हैं जो भोजन नहीं बना पाते। रेलवे स्टेशन रोड पर शाकाहारी और मांसाहारी भोजनालय खुल तो रहे हैं लेकिन इक्का-दुक्का ग्राहक ही आ रहे हैं। बैठकर खाना खाने का आदेश न होने के कारण ज्यादातर लोग आ ही नहीं रहे हैं। छात्रावास बंद होने का भी बहुत असर हुआ है।
केस एक : शहर के पार्क रोड स्थित होटल क्लार्क के सामने कभी वाहनों की लंबी कतार रहती थी। नेता, अफसर और बाहर से आने वाले लोगों की भीड़ रहती थी। कई कंपनियों के कार्यक्रम यहां होते थे लेकिन अब होटल सूना पड़ा है। कोरोना से बचाव कत लोगों ने होटलों से मुंह मोड़ लिया है।
केस दो : बाहर से आने वालों को कम बजट में शानदार सुविधा देने के लिए रुस्तमपुर के पास विनायक गेस्ट हाउस की नींव डाली गई थी। अभी गेस्ट हाउस ठीक से शुरू भी नहीं हुआ था कि लॉकडाउन शुरू हो गया। अब गेस्ट हाउस में कोई आता नहीं है।
फैक्ट फाइल
शहर में बड़े व छोटे होटलों की संख्या- 120
शहर में गेस्ट हाउस की संख्या- 135
होटल का काम पूरी तरह प्रभावित है। अनलॉक में शादी-विवाह का आयोजन भी नहीं हुआ। अब भविष्य की ङ्क्षचता सता रही है। बिजली का फिक्स चार्ज लाखों रुपये में आता है। इसे हर महीने देना है। होटल की साफ-सफाई भी जरूरी है। घर से खर्च हो रहा है। - पवन बथवाल, होटल क्लार्क।
उत्साह के साथ गेस्ट हाउस की शुरुआत की थी। उम्मीद थी कि कम रेट के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग आएंगे। कोरोना की वजह से लॉकडाउन में उम्मीदों पर पानी फिर गया। गेस्ट हाउस को छात्रावास में बदलने की सोच रहा हूं। - अवनींद्र नारायण शुक्ल, विनायक गेस्ट हाउस
कोरोना का प्रकोप न जाने कब थमेगा। व्यवसाय पूरी तरह ठप है लेकिन खर्चे तो कम होंगे नहीं। कर्मचारियों की तनख्वाह, सफाई पर खर्च, बिजली का बिल आदि तो देना ही पड़ रहा है। भविष्य फिलहाल बहुत अ'छा नहीं दिख रहा है। - शिवपूजन मिश्र, तपस्या पैलेस
लॉकडाउन में होटल, गेस्ट हाउस और रेस्टोरेंट का धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है। रेस्टोरेंट में न कोई खाना खाने आ रहा है और न ही होटल में कोई ठहरने। आने वाले दिनों में स्थिति ऐसी ही रही तो कोई विकल्प बनाना पड़ेगा। - विपिन अग्रवाल, रॉयल आर्चिड।