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बिल न बनने से उपभोक्ता परेशान, काट रहे बिजली कार्यालयों का चक्कर Gorakhpur News

सिम में गड़बड़ी के कारण शहर के पांच सौ स्मार्ट मीटरों का बिल नहीं बन पा रहा है। लखनऊ स्थित शक्ति भवन से इन मीटरों का संपर्क नहीं हो पा रहा है। उपभोक्ता बिल बनवाने के लिए अफसरों का चक्कर काट रहे हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 05:45 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 05:45 PM (IST)
बिल न बनने से उपभोक्ता परेशान, काट रहे बिजली कार्यालयों का चक्कर Gorakhpur News
बिल न बनने से परेशान हैं उपभोक्ता। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन : सिम में गड़बड़ी के कारण शहर के पांच सौ स्मार्ट मीटरों का बिल नहीं बन पा रहा है। लखनऊ स्थित शक्ति भवन से इन मीटरों का संपर्क नहीं हो पा रहा है। उपभोक्ता बिल बनवाने के लिए अफसरों का चक्कर काट रहे हैं। अफसर सर्वर से ही बिल बनने का आश्वासन देकर उन्हें लौटा रहे हैं। अफसरों ने स्मार्ट मीटर लगाने वाली एजेंसी एलएंडटी को सूची दे दी है।

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56 हजार 80 उपभोक्ताओं के परिसर में लगाए जा चुके हैं स्मार्ट मीटर

शहर के टाउनहाल, बक्शीपुर, मोहद्दीपुर और राप्तीनगर खंड क्षेत्र में 56 हजार 80 उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। पिछले महीने इनमें से तकरीबन 97 फीसद उपभोक्ताओं के बिल बने हैं। स्मार्ट मीटर खुद यूनिट और लोड की गणना कर बिल बना देता है। हर महीने के पहले सप्ताह में ज्यादातर उपभोक्ताओं के बिल जारी हो जाते हैं।

पांच सौ उपभोक्‍ताओं के नहीं बने बिल

इस महीने अब तक तकरीबन पांच सौ उपभोक्ताओं के बिजली के बिल नहीं बने। उपभोक्ताओं ने इसकी शिकायत अफसरों से की तो जांच कराई गई। पता चला कि मीटरों के बिल की रिपोर्ट सर्वर को नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह सिम में गड़बड़ी है।एलएंडटी के अफसरों का कहना है कि स्मार्ट मीटरों की जांच कराई जा रही है। कुछ में सिम में गड़बड़ी के कारण दिक्कत हुई है। कंपनी के कर्मचारी इसे ठीक कर रहे हैं। उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली मिल रही है। एक सप्ताह में सभी दिक्कतों को दूर करा दिया जाएगा। अधीक्षण अभियंता शहर यूसी वर्मा ने बताया कि कुछ स्मार्ट मीटर से बिल न बनने की सूची एलएंडटी को दी गई है।

परेशानी का सबब बनी 36 यूनिट खपत

रामजानकीनगर निवासी एक उपभोक्ता के परिसर में स्मार्ट मीटर लगा है। हाल के कुछ दिनों से उपभोक्ता के स्मार्ट मीटर में रोजाना 36 यूनिट की खपत दर्ज हो रही है। अफसरों का कहना है कि चेक मीटर लगाने के बाद ही खपत की वास्तविक जानकारी हो पाएगी।


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