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उपचुनाव: सबकी नजर ब्राह्मणों पर

देवरिया सदर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस ने 46 साल बाद उतारा ब्राह्मण प्रत्याशी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 11:12 PM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 05:06 AM (IST)
उपचुनाव: सबकी नजर ब्राह्मणों पर
उपचुनाव: सबकी नजर ब्राह्मणों पर

देवरिया, जेएनएन: कानपुर के विकास दुबे कांड के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में उछले जातीय मुद्दे को भुनाने के लिए पार्टियां उपचुनाव में ब्राह्मण कार्ड खेल रही हैं। जिस सीट पर इक्का-दुक्का ब्राह्मण प्रत्याशी ही जीत पाए हैं, उस देवरिया सदर विधानसभा सीट पर बसपा ने अभयनाथ त्रिपाठी को उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलते हुए यहां निर्णायक वोट बैंक मानकर 46 वर्ष बाद ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। इस बार मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाने वाली कांग्रेस ने वर्ष 1974 में दीप नारायण मणि त्रिपाठी को टिकट दिया था।

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बीते तीन-चार महीने में यूपी में जातिगत सियासत ने तेजी से पैर फैलाए हैं। ऐसे में कांग्रेस के इस कदम के सियासी मायने गहरे माने जा रहे हैं। रणनीतिकार बताते हैं कि पार्टी ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव खेलकर पुराने काडर वोट को लुभाने की कोशिश की है। साथ ही अगले चुनावों के लिए संदेश भी दिया है कि उसे अपने काडर वोट का ध्यान है।

देवरिया सदर सीट पर सबसे अधिक 55 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। साथ ही वैश्य, क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम, दलित और सैंथवार, प्रत्येक वर्ग के मतदाताओं की संख्या 20 से 45 हजार तक है। ऐसे में जातियों का गठजोड़ किसी का भी समीकरण बिगाड़ देता है। इसी कारण यहां हार-जीत का अंतर भी कम रहता है। कांग्रेस के एक पदाधिकारी का कहना है कि जातिगत नब्ज टटोलने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सचिन नाइक ने एक माह में कई दौरे किए, फिर फीडबैक दिया। इसके बाद पार्टी ने ब्राह्मण वोट बैंक को निर्णायक मानते हुए युवा कार्यकर्ता मुकुंद भास्कर को टिकट दिया।

बस दो बार जीते ब्राह्मण प्रत्याशी

इस सीट पर 1969 में भारतीय किसान दल से जीतने वाले दीप नारायण मणि को 1974 में कांग्रेस ने टिकट दिया। लेकिन उनकी हार के बाद कांग्रेस ने यहां से कभी ब्राह्मण प्रत्याशी नहीं उतारा। 1985 में कांग्रेस से फजले मसूद जीते, इसके बाद पार्टी यहां खाता नहीं खोल पाई। 1989 में राम प्रवेश सिंह को सिंबल मिलने में इतनी देर हो गई कि उन्हें निर्दलीय लड़ना पड़ा। 1991 व 1993 में महेंद्र यादव, 2002 में रामायण राव और 2007 व 2012 में जेपी जायसवाल को टिकट मिला। 1996 में बसपा और 2017 में सपा से गठबंधन के बाद कांग्रेस यहां समर्थक के रूप में ही रही। सवर्णो के हितैषी होने का दिखावा कर रही कांग्रेस : सांसद

देवरिया संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद डा.रमापति राम त्रिपाठी ने मध्यप्रदेश के भांडेर से कांग्रेस प्रत्याशी फूलसिंह बरैया के भाषण की निंदा की है। कहा, कांग्रेस सवर्ण हितैषी होने का दिखावा कर रही है। पार्टी स्वयं को सवर्णो की हितैषी कहती है लेकिन उनके नेता मध्य प्रदेश में सवर्णों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए अपमान कर रहे हैं। इस तरह के आचरण से सामाजिक संतुलन बिगड़ेगा। कांग्रेस को ऐसे नेताओं पर कार्रवाई करनी चाहिए। भाजपा सर्व समाज की भावना रखती है और फूल सिंह बरैया का बयान निंदनीय है।


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