निजी आइटीआइ संस्थानों में शुल्क प्रतिपूर्ति हजम करने की होड़ Gorakhpur News
बस्ती के निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि हजम करने का खेल चल रहा हैं। आंकड़ों की बाजीगरी में शासकीय धन को हर साल चूना लगाया जाता है। समाज कल्याण विभाग आइटीआइटी संस्थान के संचालकों की जुगलबंदी से यह राज खुल भी नहीं पाता है।
गोरखपुर, जेएनएन : बस्ती जिले के निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) में शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि हजम करने का खेल लंबे समय से चल रहा हैं। आंकड़ों की बाजीगरी में शासकीय धन को हर साल चूना लगाया जाता है। समाज कल्याण विभाग और आइटीआइटी संस्थान के संचालकों की जुगलबंदी के चलते यह राज खुल भी नहीं पाता है। शुल्क प्रतिपूर्ति हड़पने वाले संस्थान अब शासन के रडार पर आ गए हैं। जिम्मेदार इस मसले पर कुछ बोलने तक से कतरा रहे हैं। निजी आइटीआइ संस्थानों की ओर से विद्यार्थियों की वर्षवार सूची तैयार की जाती है। शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए विद्यालयवार विद्यार्थियों का विवरण सहित संयुक्त निदेशक आइटीआइ के स्तर से समाज कल्याण विभाग को प्रेषित होती है। इस आधार पर विद्यार्थियों के खाते में प्रतिपूर्ति राशि भेजी जाती है, लेकिन यहां शुल्क प्रतिपूर्ति धनराशि के लिए आंकड़ों में हेरफेर कर दिया जा रहा है।
आवंटित सीट के सापेक्ष अधिक भेजी जा रही छात्र संख्या
तमाम निजी संस्थानों की ओर से आवंटित सीट के सापेक्ष छात्रसंख्या अधिक भेजी जा रही है। बस्ती मंडल में यह असलियत उजागर हो चुकी है। संयुक्त निदेशक आइटीआइ ने संतकबीरनगर जनपद के राम किशोर शाही आइटीआइ में ऐसा मामला पकड़ा है। यहां निर्धारित सीट से ज्यादा छात्र संख्या दर्शाई गई है। उन्होंने उप निदेशक समाज कल्याण को पत्र लिखकर आवंटित शुल्क प्रतिपूर्ति धनराशि की जांच कराने को कहा है। यह तो बानगी मात्र हैं, अन्य संस्थानों में भी यह खेल हुआ है। जिन अनधिकृत छात्रों का नाम बढ़ा होता है, वे संचालक के करीबी बताए जाते हैं। ताकि धन का आहरण आसानी से हो सके।
क्या है शुल्क प्रतिपूर्ति
संस्थान में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी अपने पास से फीस जमा करते हैं। बाद में शासन की ओर से समाज कल्याण विभाग के माध्यम से विद्यार्थियों के खाते में यह धनराशि वापस भेजी जाती है। इसे शुल्क प्रतिपूर्ति कहा जाता है।
प्रतिपूर्ति धनराशि जारी हुई होगी तो यह गलत
आइटीआइ के संयुक्त निदेशक पुरुषोत्तम मिश्र ने कहा कि संतकबीरनगर जनपद के रामकिशोर शाही आइटीआइ संस्थान में निर्धारित सीट से ज्यादे छात्र संख्या का मामला पकड़ में आया है। समाज कल्याण विभाग को इसकी जानकारी दी गई है। सूची के मुताबिक प्रतिपूर्ति धनराशि जारी हुई होगी तो यह गलत है। अन्य विद्यालयों की भी छानबीन चल रही है।
किसी तरह की अनियमितता अभी तक नहीं आई सामने
जिला समाज कल्याण अधिकारी राम नगीना यादव ने कहा कि हमारे जनपद शुल्क प्रतिपूर्ति में किसी तरह की अनियमितता अभी तक सामने नहीं आई है। सत्यापन होने के बाद ही धनराशि आवंटित की जाती है।