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अयोध्या से पहले गोरखपुर आएंगी देवशिलाएं, सीएम योगी करेंगे भव्य स्वागत- तैयारी में जुटा गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन

गोरखनाथ मंदिर में 31 दिसंबर को शिला रथ का रात्रि विश्राम होगा। ऐसे में गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन देव शिलाओं के स्वागत और ठहराव की तैयारी में जुटा है। रात्रि विश्राम के बाद एक जनवरी को मुख्यमंत्री योगी देव शिलाओं को अयोध्या के लिए रवाना करेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Mon, 30 Jan 2023 11:21 AM (IST)Updated: Mon, 30 Jan 2023 11:21 AM (IST)
अयोध्या से पहले गोरखपुर आएंगी देवशिलाएं, सीएम योगी करेंगे भव्य स्वागत- तैयारी में जुटा गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन
कल गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री करेंगे देवशिलाओं का स्वागत। -विहिप

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। नेपाल के काली गंडकी नदी से प्राप्त छह करोड़ वर्ष पुरानी शालीग्राम पत्थर की दो देवशिलाओं का अयोध्या पहुंचने से पहले गोरखपुर में भव्य स्वागत होगा। 31 जनवरी को गोरखपुर पहुंचने पर स्वागत के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद गोरखनाथ मंदिर में मौजूद रहेंगे। गोरखनाथ मंदिर में ही देवशिला रथ का रात्रि विश्राम होगा। एक जनवरी की सुबह मुख्यमंत्री विधि-विधान से रथ को अयोध्या के लिए रवाना करेंगे।

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रथ के साथ आने वाले लोगों के ठहराव की बन रही व्यवस्था

मुख्यमंत्री के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है। हिंदू सेवाश्रम में देवशिला रथ के साथ आने वाले लोगों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है। रथ को मंदिर परिसर में सुरक्षित खड़ा किया जाएगा। विश्व हिंदू परिषद के प्रांत प्रचार प्रमुख दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि शहर में रथ का प्रवेश दोपहर बाद होने की संभावना है। प्रवेश द्वार जगदीशपुर से ही भव्य स्वागत की तैयारी है।

चाक-चौराहों पर की जाएगी पुष्प वर्षा

कुशीनगर के रास्ते शहर में प्रवेश करने से लेकर गोरखनाथ मंदिर पहुंचने तक श्रद्धालुओं द्वारा सभी चौक-चौराहों पर पुष्पवर्षा की जाएगी। हालांकि, इसे लेकर कहीं किसी आयोजन या सभा की व्यवस्था नहीं है। रथ पूरी सादगी के साथ रात्रि विश्राम के लिए गोरखनाथ मंदिर पहुंचेगा। रथ के साथ करीब 100 लोग मौजूद रहेंगे। इनमें जानकी मंदिर जनकपुर के संत-महात्मा और विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र पंकज भी होंगे।

देवशिलाओं से होगा श्रीराम व माता सीता की मूर्ति का निर्माण

दो देवशिलाओं में एक का वजन 26 टन और दूसरे का 14 टन है। इन शिलाओं का प्रयोग अयोध्या के श्रीरामजन्म भूमि मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान श्रीराम के बाल्य स्वरूप और माता सीता के विग्रह निर्माण में करने का निर्णय श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने लिया है। मूर्ति निर्माण के दौरान शिला की कटाई-छंटाई से निकलने वाले कणों का विग्रह निर्माण में ही समुचित प्रयोग किया जाएगा। 26 जनवरी को नेपाल से चलीं देवशिलाएं मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, संतकबीर नगर और बस्ती होते हुए एक फरवरी को अयोध्या पहुंचेंगी।


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