Yoga Day: गोरखपुर में परमहंस योगानंद की जन्मस्थली पर स्मारक बनाने को CM योगी आदित्यनाथ तैयार
Yoga Day मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा हैै कि योग का परचम पूरी दुनिया में फहराने वाले परमहंस योगानंद की जन्मस्थली स्मारक के रूप में विकसित की जाएगी। वहां लाइब्रेरी बनाई जाएगी जिसमें योग और अध्यात्म से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की पुस्तकें होंगी।
गोरखपुर, जेएनएन। योग का परचम पूरी दुनिया में फहराने वाले परमहंस योगानंद की जन्मस्थली स्मारक के रूप में विकसित की जाएगी। वहां लाइब्रेरी बनाई जाएगी, जिसमें योग और अध्यात्म से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की पुस्तकें होंगी। यहां संग्रहालय भी बनाया जाएगा। प्रदेश सरकार इसके लिए तैयार है। सरकार ने यह भी तय कर लिया है कि जन्मस्थल को लेकर चल रहा विवाद समाप्त होने के बाद जरूरत पडऩे पर उचित मुआवजा देकर उसे ले लिया जाएगा।a
जिलाधिकारी को दिए गए जरूरी निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अनौपचारिक मुलाकात के दौरान दैनिक जागरण के सवाल पर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसे लेकर जिलाधिकारी को जरूरी निर्देश दिए जा चुके हैैं। वह काम कर रहे हैं। जल्द ही इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। इससे लोगों को योगानंद के बारे में जानकारी मिलेगी। उन्हें पता चलेगा कि योगानंद किस तरह के संत थे।
1893 में गोरखपुर में पैदा हुए थे योगानंद
बता दें, योगानंद का जन्म पांच जनवरी 1893 को मुफ्तीपुर मोहल्ले में कोतवाली के पास एक मकान में हुआ था। तब उनके पिता भगवती चरण घोष बंगाल-नागपुर रेलवे में बतौर कर्मचारी गोरखपुर में तैनात थे। यहां उन्होंने किराये पर मकान लिया था। इसी मकान में परमहंस योगानंद का जन्म हुआ। मां-पिता ने उनका नाम मुकुंद रखा था। आठ वर्ष की आयु तक मुकुंद का बचपन यहीं बीता। उनके बचपन की बहुत सी यादों का जिक्र उनके भाई सानंदलाल घोष ने अपनी पुस्तक 'मेजदा में किया है। मुकुंद आठ भाई-बहन में चौथे नंबर पर थे। उनके भाई ने अपनी पुस्तक में कई ऐसे प्रसंगों का जिक्र किया है जिसमें उनके दिव्य व्यक्तित्व का आभास बचपन से ही होता है। उन्होंने बताया है कि जब योगानंद का जन्म हुआ उस समय दिव्य प्रकाश की अनुभूति हुई। गोरखपुर में बिताए आठ वर्षों में ही योगानंद ने कई ऐसे सिद्ध प्रयोग दिखाए जिसे देख उनके परिवार सहित पड़ोसी भी अचरज में पड़ जाया करते थे।