मंदिर जाना, टीका लगाना ¨हदू की परिभाषा नहीं : योगी
गोरखनाथ मंदिर में सीएम योगी का कार्यक्रम
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि हमारे धर्म में कहीं नहीं कहा गया कि हम किसकी पूजा करें, किसकी न करें। यह भी नहीं कहा गया कि हिंदू होने का अर्थ है कि हम मंदिर में जाएं और टीका लगाएं। वह रविवार को गोरखनाथ मंदिर में महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि समारोह के क्रम में आयोजित साप्ताहिक संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर अध्यक्षीय संबोधन दे रहे थे। संगोष्ठी के पहले दिन 'लोक-कल्याण भारतीय संस्कृति की विशेषता है' विषय पर मंथन हुआ।
मुख्यमंत्री ने धर्म की व्याख्या करते हुए उसके व्यापक अर्थ पर प्रकाश डाला। कहा कि लोक-कल्याण एवं लोकमंगल के लिए ही भारत की ऋषि परंपरा सदैव समर्पित रही। आज भी सरकार से अधिक धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थानों द्वारा धर्मार्थ सेवा के प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। भारतीय जीवन मूल्य में स्वयं के स्वार्थ की कोई जगह नहीं है। वही जीवन श्रेष्ठ है जो दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित हो।
अयोध्या से आए जगद्गुरु राघवाचार्य ने कहा कि दोनों ब्रह्मालीन महंतों को वास्तविक श्रद्धांजलि यही है कि जिन जीवन मूल्यों के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया, उसे पूरा करने में अपनी संपूर्ण शक्ति लगा दें। अयोध्या से ही आए स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य ने कहा कि धर्म, अध्यात्म, देश, समाज और राजनीति के क्षेत्र में गोरक्ष पीठ के आचार्यो ने सदैव अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है।
विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रात प्रचारक मुकेश खाण्डेकर ने कहा कि भारतीय संस्कृति ऋषियों की तपस्या का प्रतिफल है। भारतीय संस्कृति सर्व समावेशी है, समरसता की प्रतीक है। इससे पहले प्रो. उदय प्रताप सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय के औचित्य पर प्रकाश डाला। मंच संचालन की जिम्मेदारी डॉ. श्रीभगवान सिंह ने निभाई। गोरक्षाष्टक पाठ अवनीश पाण्डेय, प्रियांशु चौबे, दिग्विजयस्त्रोत पाठ शिवाश मिश्र, महन्त अवेद्यनाथ स्त्रोत पाठ प्रागेश मिश्र ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह, महंत गंगादास, अवधेश दास, महंत धर्मदास, महंत शांतिनाथ, महंत शिवनाथ, महंत राममिलन दास, स्वामी जयबक्श दास, महंत रवींद्र दास, महंत मिथिलेश नाथ आदि की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।
------- अज्ञान, अन्याय और अभाव मानवता के सबसे बड़े शत्रु : डॉ. सत्यपाल
गोरखपुर : 'लोक-कल्याण भारतीय संस्कृति की विशेषता है' विषय पर बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए केंद्रीय मानव संस्थान विकास राज्यमंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि वास्तव में मानव और मानवता के तीन प्रमुख शत्रु हैं, अज्ञान, अन्याय और अभाव। इनको दूर किए बिना लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता। लोक कल्याण का अर्थ इन्हीं तीन मानव शत्रुओं के विरुद्ध संघर्ष है।
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