Move to Jagran APP

नेपाली मूल के लोगों की नागरिकता आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा

कुशीनगर के खड्डा इलाके में रहने वाले नेपाली मूल के लोग बन गए भारतीयकस्बा समेत कई गांवों में बनाया आशियाना इन लोगों का मतदाता पहचान पत्र भी बन गया है नेपाली मूल के घरेलू नौकर को लड़ाया गया था प्रधान का चुनाव इस गंभीर मुद्दे पर देना होगा ध्यान।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 04:00 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 04:00 AM (IST)
नेपाली मूल के लोगों की नागरिकता आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा

कुशीनगर : कुशीनगर के खड्डा इलाके में रहने वाले नेपाली मूल के लोगों को रेवड़ी की तरह भारत की नागरिकता दी जा रही है। माओवाद से प्रभावित नेपाल के समीपवर्ती इलाके में ऐसे सैकड़ों लोगों ने भूमि खरीद कर मकान भी बनवा लिए हैं। इनके मतदाता पहचान पत्र, राशनकार्ड व आधार कार्ड भी बन गए हैं। जबकि एक गांव में बसे नेपाली मूल के लोगों के पशु तस्करी में शामिल रहने की बात भी उजागर हो चुकी है। हद तो तब हो गई जब शिवदत्त छपरा के पूर्व प्रधान ने नेपाली मूल के अपने घरेलू नौकर का पिछड़ी जाति का प्रमाणपत्र बनवाकर ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा दिया। गांव के एक व्यक्ति ने आरटीआइ के तहत इससे जुड़ी सूचना मांगी है।

loksabha election banner

समय रहते अगर ध्यान नहीं दिया गया तो देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर खतरा उत्पन्न हो सकता है। खड्डा कस्बा, डोमनपट्टी और दियारा के गांवों में नेपाली मूल के सैकड़ों लोग बसे हुए हैं। अगल-बगल के लोगों की मदद और अधिकारियों की उदासीनता से धीरे-धीरे यह भारत के नागरिक बनते जा रहे हैं। व्यवस्था पर नजर डालें तो दूसरे देश के व्यक्ति को नागरिक तब माना जाता है, जब उसे राज्य की ओर से अधिकार प्रदान किया गया हो। नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986 में यह व्यवस्था की गई है कि भारत में जन्म लेने वाले किसी व्यक्ति को नागरिकता तभी प्राप्त होगी, जब उसके माता-पिता में से कोई एक यहां का नागरिक हो। भारत में नागरिकता को वंश के सिद्धांत के आधार पर अपनाया गया है। नेपाली मूल के नागरिक बेरोकटोक कुशीनगर के उत्तरी छोर पर स्थित बिहार की सीमा से सटे खड्डा कस्बा समेत कई गांवों में घर बनाकर रह रहे हैं। इनका मतदाता पहचान पत्र, राशनकार्ड व आधार कार्ड भी बन चुका है। खड्डा कस्बा के नेहरूनगर, पटेलनगर आदि वार्डों में कई परिवार नागरिकता भी ले चुके हैं। छितौनी कस्बा के समीपवर्ती एक गांव में पशु तस्करी में संलिप्त वर्ग विशेष के दर्जनों लोग पक्का घर बना पूरी तरह भारतीय बन चुके हैं। सवाल यह उठता है कि जब इनके माता-पिता भारतीय नहीं थे तो इन्हें नागरिकता कैसे मिल गई। खुफिया एजेंसियों व अधिकारियों की नजर इस तरफ क्यों नहीं पड़ रही।

एसडीएम अरविंद कुमार ने कहा कि

नेपाली मूल के लोगों को भारत की नागरिकता दिया जाना गंभीर विषय है, इसकी जांच कराई जाएगी। उच्चाधिकारियों को भी प्रकरण से अवगत कराया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.