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Gorakhpur coronavirus: लंबे अर्से बाद बच्‍चों को मिली मां, परिवार में छायीं खुशियां

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. रीता सिंह ने कहा कि डाक्टर के रूप में मरीजों की सेवा मेरा प्राथमिक दायित्व था। साथ ही महिला होने के नाते पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुक्त होना आसान नहीं था। लेकिन पति डा. पवन सिंह ने बच्‍चों को संभाला।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 02:47 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 02:47 PM (IST)
Gorakhpur coronavirus: लंबे अर्से बाद बच्‍चों को मिली मां, परिवार में छायीं खुशियां
बच्‍चों व पति डा पवन सिंह के साथ कैरम खेलती डा ऱीता सिंह । सौ स्वयं।

गोरखपुर, जेएनएन। संक्रमण काल में कोरोना वार्ड में ड्यूटी के दौरान व उसके बाद भी 14 दिन तक स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. रीता सिंह घर रहकर भी परिवार व बच्‍चों से अलग-थलग रहीं। कोरोना की दूसरी लहर भयानक थी। पूरा वातावरण संक्रमण से भरा हुआ प्रतीत होता था। रोज ड्यूटी कर घर जाना होता था लेकिन ड्यूटी के दौरान 14 दिन अलग कमरे में रहती थीं। उसके बाद भी 14 दिन तक उन्होंने यही सतर्कता बरती ताकि बच्‍चों तक संक्रमण न पहुंचने पाए। लगभग एक माह बाद जब बच्‍चों को मां का आंचल मिला तो उनकी खुशियों का ओर-छोर नहीं है। अब वह पूरे परिवार के साथ शामिल हो गई हैं। परिवार में खुशी का माहौल है। बच्‍चे बहुत खुश हैं। शुक्रवार को वह बच्‍चों के साथ कैरम खेल रही थीं।

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जीवन का सबसे मुश्किल दौर

बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. रीता सिंह पिछले एक साल में सात बार कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर चुकी हैं। कहती हैं कि अप्रैल व मई तो तनावपूर्ण माह थे। यह समय मेरे जीवन का सबसे मुश्किल दौर था। जिसने भावनात्मक व मानसिक रूप से मुझे झकझोर दिया था। संक्रमण का प्रसार बहुत ज्यादा था। वार्ड में भी वायरस लोड बहुत अधिक था। परिवार को संक्रमण से बचाना बहुत बड़ी चुनौती थी। इस वजह से इन दो महीनों में मैंने परिवार से दूरी बना ली थी।

कठिन दौर समाप्‍त, अब खुशी का माहौल

उन्‍होंने कहा कि डाक्टर के रूप में मरीजों की सेवा मेरा प्राथमिक दायित्व था। साथ ही महिला होने के नाते पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुक्त होना आसान नहीं था। लेकिन पति डा. पवन सिंह ने बच्‍चों को संभाला। बेटे दिव्यम व बेटी दिव्यांशी हमेशा मेरे पास आने की जिद करती थीं, मेरी भी ममता उमड़ती थी। आंखों में आंसू आ जाते थे लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए उनसे दूर रहना बहुत जरूरी था। खैर वह भयानक दौर अब विदा हो चुका है। परिवार में खुशियां लौट आई हैं। पूरा माहौल बदल गया है। सब लोग साथ रह रहे हैं और खुश हैं।


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