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योगी ने कहा-अनुशासनहीनता से पनपती है अराजकता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के सीएम भी थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Dec 2018 02:20 PM (IST)Updated: Tue, 04 Dec 2018 02:20 PM (IST)
योगी ने कहा-अनुशासनहीनता से पनपती है अराजकता
योगी ने कहा-अनुशासनहीनता से पनपती है अराजकता

गोरखपुर, जेएनएन। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह के उद्घाटन समारोह के दौरान अपने अध्यक्षीय संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विद्यार्थियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संस्थापक समारोह मनाने और इसके तहत शोभा यात्रा निकालने का एक बड़ा उद्देश्य विद्यार्थियों को अनुशासन का महत्व बताना है, साथ ही इसकी वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करना है। उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता की स्थिति अराजकता की वजह बनती है और अराजकता किसी भी परिस्थिति में ठीक नहीं। जीवन में अगर प्रगति करनी है तो अनुशासन को जीवन का हिस्सा बनाना ही पड़ेगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि शोभा यात्रा महज प्रदर्शन नहीं है। इसे देखते हुए हर वर्ष जहां इस यात्रा में 25 हजार विद्यार्थी हिस्सा लेते थे, इस बार उनकी संख्या काफी कम कर दी गई है। क्योंकि महत्व इसका नहीं है कि शोभा यात्रा में संख्या कितनी हो, महत्व इस बात का है कि संस्थाओं में आंतरिक अनुशासन कितना है। पूर्वाचल के शैक्षिक विकास में शिक्षा परिषद की भूमिका की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 86 वर्ष पूर्व इसकी स्थापना के समय महंत दिग्विजयनाथ के मन-मस्तिष्क में यही भाव रहा होगा कि शिक्षा किसी भी समाज को सम्मान और स्वालंबन की ओर बढ़ाने और राष्ट्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। योगी ने शिक्षकों से महंत दिग्विजयनाथ की उम्मीदों पर खरा उतरने की अपील की और कहा कि ऐसा करने से ही शिक्षा के सार्थक परिणाम सामने आएंगे। महंत दिग्विजयनाथ के प्रयास को मुख्यमंत्री ने देश में स्वाधीनता के यज्ञ की संज्ञा दी, जिस यज्ञ ने नौजवानों में राष्ट्रभक्ति की भावना को पनपाने और राष्ट्र के लिए समर्पित होने की प्रेरणा देने का कार्य किया। परिषद का नाम महाराणा प्रताप के नाम पर रखे जाने की वजह को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि मातृभूमि, धर्म और संस्कृति के प्रति प्रेम की सीख हमें महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व व कृतित्व से मिलती है। उनका आदर्श, शौर्य और पराक्रम विषम परिस्थितियों में भी बिना धैर्य खोए जीवन के समर में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। संबोधन में चित्तौड़, मेवाड़, हल्दी घाटी और अरावली की पहाड़ियों पर महाराणा प्रताप के संघर्ष का जिक्र कर मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों में राष्ट्रप्रेम का जोश भरने की कोशिश की। समारोह के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए योगी ने कहा कि यह आयोजन परिषद से जुड़ी संस्थाओं को स्व-मूल्यांकन का अवसर देता है। इसके तहत सप्ताह भर चलने वाली प्रतिस्पर्धाएं क्षमता, गुणवत्ता और कमियों की पहचान का अवसर देती है। मुख्यमंत्री ने परिषद के संस्थापकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों से अपील की कि वह शैक्षिक विकास को लेकर उनकी उम्मीद पर खरा उतरने का हर संभव प्रयास करें। इसी क्रम में उन्होंने परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. भोलेंद्र सिंह को भी याद किया, जिनका चंद दिन पहले निधन हो गया था। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और प्रदेश के खेल व युवा कल्याण मंत्री चेतन चौहान का आभार ज्ञापन भी किया।


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