चरागाह की भूमि पर नहीं हो सकती गो-वंश संरक्षण केंद्रों की स्थापना
अब चरागाह की भूमि गो-वंश संरक्षण केंद्र नहीं बन सकता है। शासन ने इसके लिए बकायदा आदेश जारी कर दिया है। अभी तक इन्हीं जमीनों की तलाश थी।
By Edited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 06:03 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 09:59 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। चरागाह की भूमि का उपयोग सरकारी या एनजीओ के माध्यम से गो-वंश संरक्षण केंद्रों की संचालन के लिए नहीं दी जा सकती। जनपद से आने वाले प्रस्तावों को देखते हुए शासन ने यह स्पष्ट किया है। शासन का कहना है कि चरागाह की भूमि सुरक्षित श्रेणी में आती है।
इस पर न तो किसी को भूमिधरी का अधिकार प्राप्त हो सकता है और न ही ऐसी भूमि को ग्रामसभा किसी एनजीओ को प्रबंधन के लिए दे सकती है। इस पर चहारदीवारी का निर्माण भी नियम विरुद्ध है। पौधरोपण के अलावा पशुओं को पानी के लिए नलकूप व चरही का निर्माण कराने पर कोई आपत्ति नहीं है। राजस्व अनुभाग के प्रमुख सचिव सुरेश चंद्रा ने 18 जनवरी को सभी जनपदों के डीएम को पत्र लिख यह जानकारी दी है।
योगी सरकार बेसहारा गोवंशीय पशुओं के संरक्षण को लेकर गंभीर है। गोवंशीय पशु एक तरफ जहां सड़कों पर हादसे के कारण बन रहे हैं तो दूसरी तरफ किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। इसको देखते हुए जनपद के प्रत्येक गांव में गो-वंश संरक्षण केंद्र खोले जा रहे हैं। कई जनपदों में चरागाह की भूमि पर गो-वंश संरक्षण केंद्र खोलने का प्रस्ताव भेजकर शासन से अनुमति भी मांगी गई है।
शासन ने इसे गंभीरता से लिया है। शासन का कहना है कि राजस्व संहिता 2006 में प्रावधान है कि चरागाह की भूमि धारा 77 (1) (क) के अंतर्गत सार्वजनिक उपयोगिता की सुरक्षित श्रेणी में आती है। जहां तक पशु आश्रय स्थलों की स्थापना का मामला है तो उनका निर्माण ग्राम सभा के प्रस्तावों पर सुरक्षित श्रेणी 77 (1) से इतर श्रेणी की भूमियों पर किया जा सकता है।
इस पर न तो किसी को भूमिधरी का अधिकार प्राप्त हो सकता है और न ही ऐसी भूमि को ग्रामसभा किसी एनजीओ को प्रबंधन के लिए दे सकती है। इस पर चहारदीवारी का निर्माण भी नियम विरुद्ध है। पौधरोपण के अलावा पशुओं को पानी के लिए नलकूप व चरही का निर्माण कराने पर कोई आपत्ति नहीं है। राजस्व अनुभाग के प्रमुख सचिव सुरेश चंद्रा ने 18 जनवरी को सभी जनपदों के डीएम को पत्र लिख यह जानकारी दी है।
योगी सरकार बेसहारा गोवंशीय पशुओं के संरक्षण को लेकर गंभीर है। गोवंशीय पशु एक तरफ जहां सड़कों पर हादसे के कारण बन रहे हैं तो दूसरी तरफ किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। इसको देखते हुए जनपद के प्रत्येक गांव में गो-वंश संरक्षण केंद्र खोले जा रहे हैं। कई जनपदों में चरागाह की भूमि पर गो-वंश संरक्षण केंद्र खोलने का प्रस्ताव भेजकर शासन से अनुमति भी मांगी गई है।
शासन ने इसे गंभीरता से लिया है। शासन का कहना है कि राजस्व संहिता 2006 में प्रावधान है कि चरागाह की भूमि धारा 77 (1) (क) के अंतर्गत सार्वजनिक उपयोगिता की सुरक्षित श्रेणी में आती है। जहां तक पशु आश्रय स्थलों की स्थापना का मामला है तो उनका निर्माण ग्राम सभा के प्रस्तावों पर सुरक्षित श्रेणी 77 (1) से इतर श्रेणी की भूमियों पर किया जा सकता है।
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