करुणा, मैत्री और शांति का संदेश देता है बौद्ध धर्म Gorakhpur News
एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आनलाइन आयोजन श्रीलंका बुद्ध बिहार कुशीनगर में किया गया। इसमें अनेक विद्वानों ने िहिस्सा लिया।
गोरखपुर, जेएनएन। पालि सोसायटी आफ इंडिया के तत्वावधान में आधुनिक समाज में धम्म चक्क पवत्तन की प्रासंगिकता विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आनलाइन आयोजन श्रीलंका बुद्ध बिहार कुशीनगर में किया गया। अध्यक्षता करते हुए विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी (महाराष्ट्र) के प्रो. अंगराज चौधरी ने कहा कि भगवान बुद्ध का धम्म ही चक्र है। इस धम्म रूपी चक्र को सदैव घुमाते रहना चाहिए। मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सत्यपाल महाथेरो ने कहा कि जहां सुदर्शन चक्र हिंसा का प्रतीक हैं वहीं धर्मचक्र अहिंसा का। सुगत बुद्ध का धर्म हमें हिंसा से अहिंसा, असत्य से सत्य तथा मलिनता से निर्मलता की और ले जाता है।
पालि भाषा का प्रचार-प्रसार जरूरी
सोसायटी के महासचिव तथा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के श्रमण विद्या संकायाध्यक्ष प्रो. रमेश प्रसाद ने वेबिनार के माध्यम से देश में पालि भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए लोगों को आगे आने का आह्वान किया। मुख्या वक्ता बीएचयू के पालि एवं बौद्ध अध्ययन के विभागाध्यक्ष प्रो. बिमलेंद्र कुमार ने कहा कि बुद्ध का आर्य अष्टांगिक मार्ग से लोक कल्याण संभव है। विशिष्ट अतिथि गोल्डन माउंटेन टेंपल, ताईवान के विहाराधिपति डॉ. भिक्षु तेजवारो थेरो ने कहा कि धम्मचक्कपवत्तन के माध्यम से ही अविद्या रूपी अंधकार को मिटाकर प्रज्ञारूपी प्रकाश को फैलाया जा सकता है।
तृष्णा को नष्ट करके ही दुख से मुक्ति संभव
महाबोधि सोसायटी आफ़ इंडिया के संयुक्त सचिव भिक्षु डॉ. मेधांकर थेरो ने कहा कि बुद्ध ने दुख का कारण तृष्णा को बतलाया है। तृष्णा को नष्ट करके ही दुख से मुक्ति संभव है। कार्यक्रम का आरंभ भिक्षु ज्ञानालोक थेरो, विहाराधिपति बुद्ध विहार, रिसालदार पार्क, लखनऊ तथा भिक्षु डॉ. धर्मप्रिय थेरो पालि लेक्चरर- महाबोधि इंटर कालेज, सारनाथ की वंदना से हुआ। स्वागत डॉ. ज्ञानादित्य शाक्य असिस्टेंट प्रोफेसर, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा ने किया। आभार ज्ञापन डॉ. रमेश चंद्र नेगी, केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय, सारनाथ व संचालन डॉ. भिक्षु नंदरतन थेरो, सचिव पालि सोसायटी आफ़ इंडिया व विहाराधिपति, श्रीलंका बुद्ध विहार, कुशीनगर ने किया।