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कमाल का है यूपी का यह चावल, शुगर न के बराबर- अब इससे ब्रेड और आइसक्रीम भी बनेगी

Kalanamak Rice अब ब्रेड और आइसक्रीम में भी बिखरेगी सिद्धार्थनगर के कालानमक चावल की खुश्बू। सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन द्वारा बेकरी संचालकों को प्रशिक्षण देकर ब्रेड और आइसक्रीम में कालानमक चावल का उपयोग करने को प्रोत्साहित किया जाएगा। काशी में ऐसा पहले से ही हो रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 22 Sep 2022 07:02 AM (IST)Updated: Thu, 22 Sep 2022 09:24 PM (IST)
सिद्धार्थनगर के कालानमक चावल से अब ब्रेड व आइसक्रीम भी बनेगा। - प्रतीकात्मक तस्वीर

सिद्धार्थनगर, जागरण संवाददाता। अब गांवों में भी काला नमक से बनी ब्रेड व कुकीज बिकेगी। इसके लिए प्रशासन ने कार्ययोजना तैयार की है। ग्रामीण क्षेत्र के छोटे बेकरी संचालकों को प्रेरित किया जाएगा। काला नमक का ब्रेड व कुकीज बनाने का प्रयोग इरी (अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र) वाराणसी ने किया था। वाराणसी के बाजार में यह उत्पाद उपलब्ध हैं। इसकी सफलता के बाद अब गांवों के बेकरी संचालकों को प्रशिक्षित करेंगे। नीति आयोग ने भी इस कार्ययोजना को हरी झंडी दे दी है। पहले चरण में पांच छोटे बेकरी संचालकों को इरी वाराणसी प्रशिक्षित करेगा। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।

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कालानमक चावल से आइस्क्रीम भी बनेगी

अब बुद्ध के गांव में सुबह का नाश्ता काला नमक की सुगंध से भरपूर होगा। ब्रेड और भोजन में चावल उसके के बाद आइसक्रीम में भी इसका स्वाद मिलेगा। इन सब खाद्य पदार्थों पर शोध कार्य पूरा हो चुका है। इरी के विशेषज्ञों ने इस पर शोध कार्य किया है। सिद्धार्थनगर समेत अन्य शहरों में भी उतारने की रूपरेखा तैयार की गई है। विशेषज्ञों ने इस बाबत बेकरी संचालकों से संपर्क भी किया है। गुणवत्ता पूर्ण चावल की सप्लाई के लिए जिला प्रशासन व सक्रिय सभी 14 एफपीओ को जिम्मेदारी सौंपी गई है। चावल के एरोमा (नैसर्गिक सुंगध) की जांच के बाद इसके आटा से सुबह का नाश्ता तैयार किया जाएगा। कालानमक चावल में शुगर न के बराबर होता है इसलिए शुगर के मरीज भी इसे खा सकते हैं। अब इस चावल से ब्रेड बनने से इसका महत्व और बढ़ गया है।

जिला उद्योग करेगा अतिरिक्त पूंजी की व्यवस्था

प्रशासन ने काला नमक के बने उत्पाद को ग्रामीण बाजार में उतारने की कार्ययोजना बनाई है। गांवों के छोटे बेकरी संचालकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इन्हें मौका दिया जाएगा। बेकरी संचालकों को प्रेरित करनेक लिए खाद्य औषधि एवं कृषि विभाग की संयुक्त टीम गठित कर जिम्मेदारी सौंपी गई है। बेकरी संचालकों के समक्ष संभावित पूंजी की कमी को दूर करने के लिए जिला उद्योग विभाग को कहा गया है।

काला नमक चावल के एरोमा (सुगंध) व पौष्टिकता को बरकरार रखने पर शोध कार्य हो रहा है। इस चावल से अन्य खाद्य पदार्थ तैयार किया जा रहा है। प्रयोग के रूप में इरी के परिसर में पहले इसे बनाया गया। अब स्थानीय बाजार में उतारा गया है। इसकी सुगंध लोगों को आकर्षित कर रही है। सिद्धार्थनगर प्रशासन अगर बेकर्स को प्रशिक्षण के लिए भेजता है तो प्रशिक्षित किया जाएगा। - डा. सौरभ बदोनी, वैज्ञानिक, अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र वाराणसी।

काला नमक चावल को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए योजनाबद्ध रूप से कार्य हो रहा है। इसकी सुगंध को बरकरार रखने के लिए इरी वाराणसी के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। उन्होंने नया प्रयोग करते हुए इस चावल से सुबह के नाश्ता के खाद्य पदार्थ तैयार किया है। अब इन खाद्य पदार्थों को जनपद के बाजार में उतारने की योजना है। इसकी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। जल्द ही इसे मूर्त रूप दिया जाएगा। - जयेंद्र कुमार, सीडीओ।

जब राजू श्रीवास्तव बोले- कालानमक खा-खाकर काला हो गया मैं

हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव भी सिद्धार्थनगर के कालानमक चावल के दीवाने थे। करीब 10 माह पूर्व 23 नवंबर को सिद्धार्थनगर में आयोजित कपिलवस्तु महोत्सव में उन्होंने कहा था कि कालानमक मुझे इतना पसंद है कि उसे खा-खाकर मैं काला हो गया हूं। लोगों ने इस पर जोरदार ठहाका लगाया था। बुधवार को जैसे ही सिद्धार्थनगरवासियों को उनके निधन की सूचना मिली बरबस ही लोगों के मुंह से यह निकल गया कि 'अब कोई नहीं कहेगा, कालानमक खाकर काला हो गया हूं मैं'। लोगों ने कहा कि हंसाने वाला रुलाकर चला गया।


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