बीआरडी मेडिकल कालेज में जेल से भी बुरी हालत में हैं कोविड मरीज, स्वजन को नहीं मिल रही मरीज की कोई जानकारी
बीआरडी मेडिकल कालेज से स्वस्थ होकर घर लौटे मरीजों के अनुसार काउंटर पर कोई डाक्टर मौजूद नहीं रहता है जो मरीज की स्थिति के अनुसार उसे आइसीयू में शिफ्ट करे।आइसोलेशन में गंभीर मरीजों को भी सामान्य लक्षणों में दी जाने वाली दवाएं दी जाती हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर के सबसे बड़े कोविड लेवल थ्री अस्पताल बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में जेल से भी बुरी स्थिति है। जेल में कम से कम स्वजन कैदी से मिल सकते हैं। लेकिन कोरोना अस्पताल में मरीज भर्ती हो गया तो वह पूरी दुनिया से कट गया। उसकी कोई सूचना स्वजन को मिल नहीं पा रही। जिन मरीजों के पास फोन नहीं है, उनके स्वजन रोज मेडिकल कालेज तक दौड़ लगा रहे हैं। वहां जाकर भी उनकी तबीयत के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं कर पा रहे हैं।
काउंटर पर डाक्टर न होने से आइसोलेशन वार्ड में भेजे जा रहे गंभीर मरीज
स्वस्थ होकर घर लौटे मरीजों के अनुसार काउंटर पर कोई डाक्टर मौजूद नहीं रहता है जो मरीज की स्थिति के अनुसार उसे आइसीयू में शिफ्ट करे। सभी मरीज आइसोलेशन में भेज दिए जाते हैं। आइसोलेशन में गंभीर मरीजों को भी सामान्य लक्षणों में दी जाने वाली दवाएं दी जाती हैं। इससे उन्हें कोई फायदा नहीं होता और तबीयत और बिगड़ जाती है। मेडिकल कालेज के कोरोना वार्ड से स्वस्थ होकर लौटे बेतियाहाता के गौरीशंकर सिंह का कहना है कि मेरी तबीयत काफी खराब थी। आक्सीजन का स्तर 88 था। मुझे आसोलेशन वार्ड में भेज दिया गया।
गंभीर मरीजों को भी सामान्य दवाएं दी जा रहीं
वहां सामान्य लक्षणों में चलने वाली दवाएं दी जाने लगी। तीन दिन में मेरी तबीयत और खराब हो गई। तब आइसीयू में शिफ्ट किया गया। ऐसा अनेक मरीजों के साथ होता है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन काउंटर पर डाक्टरों की टीम होनी चाहिए जो मरीजों की स्थिति के अनुसार उन्हें उचित जगह पर भेज सके। इससे मरीजों की हालत में जल्दी सुधार होगा। आइसीयू में चेस्ट का एक्सरे किया गया। उसके बाद दवा चली। वहां व्यवस्था अच्छी थी। उनके पुत्र अभिषेक सिंह ने बताया कि भर्ती होने के दौरान कोरोना वार्ड के कंट्रोल रूम से कोई सूचना नहीं मिल पाती थी। जो सामान मरीज के पास भेजे जाते थे, वे पहुंच नहीं पाते थे। केवल दवाएं पहुंची थी।
कंट्रोल रूम के नंबर कभी उठते नहीं तो कभी बंद मिलते हैं
रेल विहार निवासी उमेश चंद्र तिवारी मेडिकल कालेज से स्वस्थ होकर घर आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें एक दिन आइसीयू में रखा गया। उसके बाद आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया गया। वाशरूम बहुत गंदा था। कहने पर दूसरे दिन साफ कराया गया। डाक्टर नियमित देखने आते थे। दवा, दूध, नाश्ता व भोजन समय पर मिल जाता था। उनके पुत्र प्रहलाद तिवारी ने बताया कि मरीज के बारे में सूचनाएं काउंटर से नहीं मिलती थीं। कंट्राेल रूम का नंबर भी कभी मिलता नहीं था तो कभी उठता नहीं था। यदि उठ भी गया तो मरीज के बारे में कंट्रोल रूम को कोई जानकारी नहीं थी। अभी कुछ दिन पहले उसी अस्पताल में मेरी दादी का निधन हो गया था। इसकी भी सूचना कालेज प्रशासन ने तीन घंटे बाद दी और पार्थिव शरीर सात घंटे बाद मिल पाया।
कंट्रोल रूम में अभी नंबर कम हैं और फोन करने वालों की संख्या ज्यादा। इसलिए ज्यादातर समय वह बिजी रहता है। लोगों के फोन नहीं मिल पाते हैं। ऐसी शिकायतें आई हैं। शीघ्र ही 12 नंबर और बढ़ा दिए जाएंगे। ताकि सभी मरीजों के स्वजन को आसानी से सूचनाएं मिल सकें। - डा. गणेश कुमार, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कालेज।