Corona effect: गीताप्रेस में पुस्तकों का स्टाक खत्म, जानें-क्या है कारण Gorakhpur News
रामायण गीता आदि महत्वपूर्ण पुस्तकों का स्टॉक 80 फीसद तक कम हो गया है। कुछ पुस्तकें खासकर मोटे अच्छरों वाली गीता व सुंदर कांड मूल की एक भी प्रति नहीं बची है।
गोरखपुर, जेएनएन। लॉकडाउन और थानावार बंदी में गीताप्रेस लंबे समय तक बंद रहा। ऐसे में कल्याण पत्रिका के अप्रैल, मई और जून के अंक ही प्रकाशित हो पाए। हालांकि अब थानावार बंदी खत्म हो गई है, साथ ही गीताप्रेस में पुस्तकों का स्टाक भी लगभग खत्म हो गया है।
रामायण, गीता आदि महत्वपूर्ण पुस्तकों का स्टॉक 80 फीसद तक कम
पुस्तक विक्रेताओं की मांग के अनुसार छपाई नहीं हो पा रही है। वहीं, बीते दिनों गीताप्रेस के संबंध में ट्वीटर पर चले अभियान के बाद ऑनलाइन मांग भी काफी तेजी से बढ़ी है। पांच सौ की संख्या में आम पाठकों के ऑनलाइन आर्डर लंबित पड़े हैं, गीताप्रेस उन्हें पुस्तकें नहीं भेज पा रहा है। रामायण, गीता आदि महत्वपूर्ण पुस्तकों का स्टॉक 80 फीसद तक कम हो गया है। कुछ पुस्तकें खासकर मोटे अच्छरों वाली गीता व सुंदर कांड मूल की एक भी प्रति नहीं बची है।
दो लाख पुस्तकों का आर्डर लंबित
गीताप्रेस में ऑनलाइन आर्डर के अलावा दुकानदारों व प्रेस के निजी बिक्री केंद्रों से लगभग दो लाख पुस्तकों की मांग आई है। गीताप्रेस सभी को सभी पुस्तकें नहीं भेज पा रहा है। छपाई ज्यादा करने के लिए अब अधिक समय तक प्रेस चलाने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
स्टेशन के स्टाल खुले तो और बढ़ेगा संकट
गीताप्रेस के रेलवे स्टेशनों पर पूरे देश में कुल 50 स्टाल हैं। अभी ये बंद चल रहे हैं। लेकिन सभी ट्रेनें चलने लगीं और ये स्टाल खुल गए तो संकट और बढ़ेगा। क्योंकि वहां से भी मांग आने लगेगी और प्रेस के पास पुस्तकें हैं नहीं।
कितने हैं बिक्री केंद्र
गीताप्रेस के 20 बिक्री केंद्र हैं। जबकि 200 अन्य बुकसेलर हैं। इसके अलावा 50 स्टेशन स्टाल हैं। इन पुस्तकों की सर्वाधिक कमी श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता, शिव पुराण, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा और श्रीमद्भागवत पुराण की है।
अब बढ़ेगा उत्पादन
गीता प्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी का कहना है कि बहुत सी पुस्तकें समाप्त हो चुकी हैं और बहुत समाप्त होने के कगार पर हैं।मांग लगातार आ रही है लेकिन हम आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। आर्डर लंबित पड़े हुए हैं। हालांकि प्रदेश सरकार ने शनिवार को बंदी हटा ली है। यह निर्णय स्वागत योग्य है। हमारा उत्पादन लगभग 16 फीसद बढ़ जाएगा। इससे कुछ राहत मिलेगी।