विधायक राधा मोहन ने कहा- सड़क से गंदे पानी निकलवाइए, यहीं धरने पर बैठूंगा Gorakhpur News
जलजमाव से क्षुब्ध गोरखपुर नगर के भाजपा विधायक राधामोहन दास अग्रवाल ने गंदे पानी के बीच बैठकर धरना देने की चेतावनी दी है।
गोरखपुर, जेएनएन। दाऊदपुर में हर वर्ष बारिश में होने वाले जलजमाव से आजिज गोरखपुरनगर से भाजपा विधायक डा, राधा मोहन दास अग्रवाल का धैर्य जबाव दे गया और वे जलजमाव के गंदे पानी में घुस गये और नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह को चेतावनी दी कि नगर निगम अब अगर समाधान नहीं करेगा तो वे उसी पानी में बैठकर धरना देंगे।
मालूम हो कि नगर विधायक के मकान से 25 मीटर आगे, हिन्दू यूवा वाहिनी के प्रदेश महामंत्री पीके मल्ल के आवास से 250 मीटर तक हर बारिश के बाद पानी लग जाता है और रास्ता बन्द हो जाता है। नगर आयुक्त ने पिछले साल नगर विधायक के निर्देश पर 50 लाख रूपये की योजना तैयार की थी लेकिन नगर निगम से इस योजना को स्वीकृति नहीं मिली।
सीएम को ट्वीट किया वीडियो
नगर विधायक आज फिर जलजमाव होने पर पानी में घुस गये और एक वीडियो बनाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उप-मुख्यमंत्रियों तथा नगर विकास मंत्री गोपाल टंडन को ट्वीट कर दिया और लिखा "हम बोलेंगे तो बोलोगे कि बोलता है"। इसके बाद उन्होंने नगर आयुक्त को पानी में ही बैठने का निर्णय सुना दिया।
नगर आयुक्त ने मेयर सीताराम जायसवाल को सारी बातें बताई और कहा कि पिछले साल ही इसके लिए एस्टीमेट बना था लेकिन पैसा अवमुक्त नहीं किया गया। इससे नगर विधायक बहुत नाराज हैं।
फिर नगर विधायक की महापौर से वार्ता हुई। नगर विधायक ने कहा कि आप प्रेस वार्ता करते हैं कि आपने 286 करोड़ रूपए का काम कराया और आप उसमें से दो साल में 50 लाख रुपये दाऊदपुर के जलजमाव के समाधान के लिए नहीं दे सके?। इसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है। अब हम इसी पानी में लेटेगे और अब जितना मामला बढना हो बढे़, नगर निगम की यह गैरजिम्मेदाराना हरकत अब वे और अधिक स्वीकार नहीं करेंगे।
महापौर सीताराम जायसवाल ने नगर विधायक को आश्वस्त किया कि किसी भी हालत में नगर निगम की बैठक में इस योजना को स्वीकृति दिलाकर दाऊदपुर की स्थाई जलजमाव का चिरस्थाई समाधान करा दिया जायेगा।
इसके बाद नगर निगम के मुख्य अभियंता सुरेश चन्द्रा विभागीय अधिकारियों के साथ मौके पर पंहुचे और उन्होंने नगर विधायक को समझाया कि नगर निगम के पास एक रूपया भी नहीं है। अवस्थापना निधि में तीन साल से पैसा आया ही नहीं। 15वें वित्त आयोग में 20.5 करोड़ रूपया आया और विभिन्न कार्यों में खर्च हो गया, विकास मे लग ही नहीं पाया, राज्य वित्त का पैसा वेतन/पेंशन मे चला जाता है। महापौर तथा नगर आयुक्त के निर्णय से उन्हें अवगत कराते हुए पानी से निकलने का आग्रह किया।