यूपी चुनाव 2022 : पडरौना विधानसभा सीट से भाजपा को कद्दावर नेता की तलाश
पडरौना का अलग ही मिजाज रहा है। 1991 व 2017 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो यहां के मतदाता सत्ता व लहर के विपरीत जनादेश देते रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के आरपीएन सिंह ने हैट्रिक लगाई तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस इतिहास को दाेहराया।
गोरखपुर, अजय कुमार शुक्ल। पडरौना से विधायक और भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ सपा शामिल होने के बाद यह सीट प्रदेश की सियासी चर्चाओं में शुमार है। यह भी चर्चा की जा रही है कि क्या भाजपा डैमेज कंट्रोल के लिए किसी कद्दावर नेता की तलाश में है। इसके लिए जिले के पुराने रसूखदार कांग्रेसी परिवार में सेंध लगाने तक की चर्चा है। इन चर्चाओं में कितना दम है यह तो समय बताएगा, लेकिन इतना तो तय है कि यहां भाजपा पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। दो दशक तक यहां की राजनीति में मजबूती से दखल रखने वाले मौर्य के जाने से भाजपा का सियासी समीकरण न बिगड़े इस पर भी पूरा फोकस रहेगा।
सत्ता व लहर के विपरीत होता रहा मतदान
वैसे तो जिले की पडरौना विधानसभा सीट का अलग ही मिजाज रहा है। 1991 व 2017 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो यहां के मतदाता सत्ता व लहर के विपरीत जनादेश देते रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के आरपीएन सिंह ने हैट्रिक लगाई तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस इतिहास को दाेहराया। चुनाव से ठीक पहले मौर्य के पाला बदलने के बाद भाजपा से दावेदारों की लंबी फेहरिस्त तो खड़ी हुई है, लेकिन पार्टी के सामने प्रत्याशी के कद को लेकर संकट दिख रहा है।
भाजपा को राम व मोदी लहर में मिली जीत
कुशवाहा बिरादरी भाजपा का परंपरागत वोट माना जाता है, लेकिन 2009 के 2012 के चुनाव में मौर्य के इस सीट पर लड़ने से यह वोट दरक गया था। यहां भाजपा को केवल रामलहर व मोदी लहर में ही जीत मिली भी। सर्वाधिक छह बार कांग्रेस को जीत मिली है, इसका एक बड़ा कारण पडरौना राजदरबार भी रहा है। यहां कम्युनिस्ट पार्टी को भी जनता ने जीत का अवसर दिया था। इससे यह बात साफ है कि यहां दल का सिक्का चला है तो व्यक्तित्व भी जीत पर असर रहा है।
शीर्ष नेतृत्व तय करेगा प्रत्याशी
भाजपा जिलाध्यक्ष प्रेमचंद मिश्र ने कहा कि पडरौना सदर सीट पर किसे प्रत्याशी बनाया जाएगा, इस पर शीर्ष नेतृत्व मंथन कर रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ने पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, कुशवाहा समाज के लोग हमारे साथ हैं। पार्टी के पास नेता की कमी नहीं है, जिसे प्रत्याशी बनाया जाएगा, कार्यकर्ता उसके साथ खड़े रहेंगे।
इस वर्ष इनकी हुई जीत
वर्ष पार्टी विधानसभा सीट
-1951 सोशलिस्ट पार्टी -रामसुभग (पडरौना पश्चिमी)
-1957 प्रजा सोशलिस्ट पार्टी- बृजनंदन (पडरौना पश्चिमी)
-1962 कांग्रेस - मंगल उपाध्याय (पडरौना पश्चिमी)
-1967 कांग्रेस -चंद्रदेव तिवारी (पडरौना सदर)
-1969 भारतीय क्रांति दल- सीपीएन सिंह (पडरौना सदर)
-1974 भारतीय क्रांति दल- पुरुषोत्तम कौशिक (पडरौना सदर)
-1977 जनता पार्टी- पुरुषोत्तम कौशिक (पडरौना सदर)
-1980 कांग्रेस - बृजकिशोर (पडरौना सदर)
-1985 लोकदल - बालेश्वर यादव (पडरौना सदर)
-1989 भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी - असगर (पडरौना सदर)
-1991 भारतीय जनता पार्टी - सुरेन्द्र शुक्ल (पडरौना सदर)
-1993 समाजवादी पार्टी- बालेश्वर यादव (पडरौना सदर)
-1996 कांग्रेस -कुंवर आरपीएन सिंह (पडरौना सदर)
-2002 कांग्रेस -कुंवर आरपीएन सिंह (पडरौना सदर)
-2007 कांग्रेस -कुंवर आरपीएन सिंह (पडरौना सदर)
-2009 बहुजन समाज पार्टी - स्वामी प्रसाद मौर्य (पडरौना सदर)
-2012 बहुजन समाज पार्टी - स्वामी प्रसाद मौर्य (पडरौना सदर)
-2017 भारतीय जनता पार्टी - स्वामी प्रसाद मौर्य (पडरौना सदर)