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दीवार गिरने से पिता की मृत्यु, पुत्र घायल

गांव निवासी 42 वर्षीय मजदूर रामतेज पुत्र सूर्यभान अपने 13 वर्षीय पुत्र धनंजय उर्फ बबुन्ने के साथ जोड़ी गई ईंट की दीवार पर छप्पर रखने का प्रयास कर रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 06:12 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 06:12 PM (IST)
दीवार गिरने से पिता की मृत्यु, पुत्र घायल
दीवार गिरने से पिता की मृत्यु, पुत्र घायल

जागरण संवाददाता, कप्तानगंज, बस्ती: थाना क्षेत्र के पगार गांव में रविवार की शाम दीवार गिरने से घायल पिता-पुत्र में से पिता की देररात मेडिकल कालेज ले जाते समय रास्ते में मृत्यु हो गई।

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गांव निवासी 42 वर्षीय मजदूर रामतेज पुत्र सूर्यभान अपने 13 वर्षीय पुत्र धनंजय उर्फ बबुन्ने के साथ जोड़ी गई ईंट की दीवार पर छप्पर रखने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान अचानक दीवार पिता-पुत्र पर गिर गई। हादसे में रामतेज को गंभीर चोटें आईं, वहीं धनंजय को मामूली चोट लगी। लोग रामतेज को लेकर कप्तानगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। वहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहां भी हालत में सुधार न होते देख डाक्टर ने उन्हें गोरखपुर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। गोरखपुर ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना से पूरे गांव के लोग गमगीन हैं। प्रधान प्रतिनिधि आसाराम चौधरी ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी थानाध्यक्ष को दी।

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पहले मां को खोया, अब पिता की मृत्यु ने कर दिया अनाथ

रामतेज की असामयिक मृत्यु के साथ ही उनकी 14 वर्षीय बेटी मोनिका तथा 13 वर्षीय पुत्र धनंजय के सिर से पिता का साया भी उठ गया है। करीब 10 साल पहले उनकी मां का भी निधन हो गया था। ऐसे में अब दोनों बच्चे अनाथ हो गए हैं। गांव के लोगों ने बताया कि पत्नी की मृत्यु के बाद रामतेज ने गरीबी के बीच जैसे तैसे मजदूरी कर बच्चों को किसी तरह से पाला। एक दौर तो ऐसा आया जब जिदगी के संघर्षो से हारकर वह घर छोड़कर कहीं चले गए। रिश्तेदारों ने इन दोनों बच्चों की परवरिश की, लेकिन बाद में लौट आए। बच्चों के साथ उनके जीवन की गाड़ी धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही थी। किसी तरह इंतजाम करके रामतेज ने घर की दीवार तो खड़ी कर ली थी, लेकिन छत नहीं लगा पाए थे। प्लास्टिक पन्नी का छाजन बनाकर उसके नीचे जीवन बसर करते थे। बारिश में दीवार गिर न जाए, इस कारण वह रविवार को छप्पर रख रहे थे, इसी बीच यह हादसा हो गया।

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खुल रही सरकारी दावे की पोल गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों के लिए सरकारी तंत्र यह कहते नहीं थकता कि सभी के लिए पक्के घर की व्यवस्था होगी, लेकिन इस हादसे ने अधिकारियों को सच का आईना दिखा दिया। एक ऐसा गरीब परिवार जो पन्नी तानकर रह रहा था उसे एक आवास न मिल पाना सरकारी व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है। खंड विकास अधिकारी सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि अवकाश के कारण रामतेज के आवास को लेकर सही जानकारी नहीं दी जा सकती। मंगलवार को कार्यालय खुलने पर मामले को देखा जाएगा। हो सकता है रामतेज का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रतीक्षा सूची में रहा हो।

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