एटीएम फ्राड में सीसीटीवी फुटेज देने से मना नहीं कर सकते बैंक
यदि आपके साथ एटीएम फ्राड हुआ है तो बैंक एटीएम का सीसीटीवी फुटेज देने से मना नहीं कर सकते, फुटेज को सुरक्षित रखना बैंक की जिम्मेदारी है।
गोरखपुर, (जेएनएन)। एटीएम फ्राड के मामलों में पीडि़त उपभोक्ता को सीसीटीवी फुटेज देने से बैंक मना नहीं कर सकते। सूचना देने के बाद फुटेज को सुरक्षित रखना और उसके ग्राहक को उपलब्ध कराना बैंक की विधिक जिम्मेदारी है। ऐसे तमाम मामले है जिसमें बैंक उपभोक्ता को फुटेज देने से इन्कार कर देता है और धोखाधड़ी का शिकार उपभोक्ताओं अपने पैसों के लिए बैंकों के चक्कर काटता रहता है।
एटीएम फ्राड के मामले तेजी से बढ़ रहे है और ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को अपने अधिकार के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। फ्राड की शिकायतों में बैंक आसानी से यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि एटीएम कार्ड की गोपनीयता ग्राहक द्वारा नहीं बरती गई या कार्ड की सुरक्षा में लापरवाही बरती गई इसलिए बैंक जिम्मेदार नहीं है।
ऐसे प्रकरणों की सुनवाई के उपरांत राष्ट्रीय आयोग ने कई महत्वपूर्ण निर्णयों में साफ कहा है कि एटीएम से पैसा निकाले जाने की शिकायत पर बैंक तत्काल उस फुटेज को सुरक्षित करे। टीएन रवि प्रकाश बनाम दी मैनेजर आफ मैसूर के मामले में ग्राहक ने बैंक को सूचना दी थी कि उनके खाते से एटीएम के जरिये रुपये निकाल लिए गए। सूचना के बाद भी बैंक ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज सुरक्षित नहीं रखी। न्यायालय ने बैंक को 25 हजार रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।
ये मामले भी बने नजीर
विद्यावती बनाम स्टेट बैंक आफ इंडिया में राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय में एटीएम से रुपये निकलने की शिकायत के बाद सीसी कैमरे में छेड़छाड़ का साक्ष्य पाए जाने पर बैंक को सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए निकाली गई रकम ग्राहक को लौटाने का आदेश दिया। एक अन्य मामले में स्टेट बैंक आफ इंडिया बनाम संसार चंद कपूर व अन्य में एटीएम से 10 हजार रुपये निकालने का प्रयास किया गया। रुपये नहीं निकले, लेकिन एटीएम से ट्रांजेक्शन नाट सक्सेसफुल का मैसेज मिला बावजूद इसके खाते से 10 हजार निकाला हुआ दिखा दिया। इसके लिए राष्ट्रीय आयोग ने बैंक को जिम्मेदार मानते हुए ग्राहक को 10 हजार रुपये देने का निर्णय पारित किया।
फुटेज सुरक्षित रखना बैंक की जिम्मेदारी
उपभोक्ता मामलों के जानकार अधिवक्ता बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव एटीएम विवाद की सुनवाई का अधिकार उपभोक्ता फोरम को प्राप्त है। एटीएम से रुपये किसने निकाले इसे प्रमाणित करने के लिए सीसीटीवी कैमरे का फुटेज प्रामाणिक साक्ष्य के रूप में माना गया है। लेकिन अक्सर बैंक यह बहाना बनाते हैं कि ग्राहक ने फुटेज की कापी तुरंत नहीं मांगी इसलिए फुटेज नष्ट किया जा चुका है। कई बैंक तो यह भी कहकर ग्राहकों को लौटा देते हैं कि फुटेज प्राप्त करने का अधिकार ग्राहक को नहीं बल्कि पुलिस विभाग को है। जबकि बैंक ग्राहक को सीसी कैमरे की फुटेज देने के लिए बाध्य हैं। यह बैंक की विधिक जिम्मेदारी है। यदि सूचना के बाद भी बैंक फुटेज को सुरक्षित नहीं रखता है तो वह ग्राहक को क्षतिपूर्ति देने के लिए बाध्य होगा।
तीन महीने तक सुरक्षित रहती है फुटेज
बैंकों में लगे सीसीटीवी फुटेज तीन महीने तक सुरक्षित रहती है। उसके बाद वह डिलिट हो जाती है। ग्राहकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए और फ्राड की जानकारी होते ही बैंक को सूचित करना चाहिए।