Move to Jagran APP

बांग्लादेशी मासूम को दो साल से अपने मामून का इंतजार

देवरिया स्थित बाल गृह में बांग्लादेशी किशोर मासूम तीन वर्ष से अपनों के आने का इंतजार कर रहा है। गरीब माता- पिता वीजा नहीं मिलने के चलते उसे लेने के लिए भारत नहीं आ पा रहे हैं। किशोर हर रोज अपनों से मिलने के लिए तड़प रहा है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 08:05 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 07:00 PM (IST)
राजकीय बालगृह देवरिया में अपनों के इंतजार में मासूम। जागरण

गोरखपुर, महेंद्र कुमार त्रिपाठी : यूं तो हर मासूम को मामून (सुरक्षा देने वाला) चाहिए, लेकिन देवरिया के बाल गृह में रह रहा बांग्लादेश का 11 वर्षीय मासूम दो साल से अपने पिता मामून का इंतजार कर रहा है। मां की गोद के लिए तरस रहा है। दो भाई-बहनों के साथ खेलने के लिए तड़प रहा है। उसकी आंखों के आंसू कब खत्म होंंगे, किसी को नहीं पता। बांग्लादेश में रह रहे उसके पिता ने पैसे की कमी से वीजा न मिलने का हवाला दिया है। मासूम नौ साल की उम्र में परिवार के साथ अजमेर शरीफ में चादरपोशी के लिए आया था, लेकिन उनसे बिछुड़ गया।

loksabha election banner

मासूम के पिता हैं राजमिस्‍त्री

मासूम के पिता मामून बांग्लादेश के किशनगंज जिले के गोपालश्रम में रहते हैैं और राजमिस्त्री हैैं। जून, 2019 में वह परिवार सहित चादरपोशी के लिए अजमेर शरीफ आए थे। वापसी में ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे। किसी स्टेशन पर मासूम पानी लेने के लिए उतरा। ट्रेन चल दी और किसी को पता नहीं चला। बदहवास मासूम दूसरी ट्रेन में बैठ गया, जो उसे गोरखपुर ले आई। यहां चाइल्ड लाइन ने प्लेटफार्म पर भटकते देख उसे अपने संरक्षण में लिया और चार महीने शेल्टर होम में रखा। नवंबर, 2019 में उसे देवरिया के राजकीय बाल गृह भेज दिया गया।

बांग्‍लादेशी भाषा के कारण किसी को अपना दर्द नहीं बता पा रहा था मासूम

बांग्लादेशी भाषा के कारण मासूम अपना दर्द किसी को बता नहीं पा रहा था। उसके हिंदी सीखने की व्यवस्था कराई गई। नवंबर 2020 में उसने अपने परिवार के बारे में बताया। जिला प्रोबेशन विभाग ने मासूम के बताए पते पर नवंबर, 2020 से जनवरी, 2021 तक तीन पत्र भेजे। पिता मामून ने मासूम से बिछुडऩे की पुष्टि की और फोन नंबर भी दिया। पिता मामून व मां सासोदा से फोन पर बातचीत हो रही है। पिता ने बताया कि पैसे की तंगी है और वीजा नहीं मिल रहा है। विभाग ने बांग्लादेश के दूतावास और महिला कल्याण निदेशालय को पत्र भेजकर मासूम को बांग्लादेश के निकट के जिले में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। हालांकि कोविड के चलते कार्रवाई नहीं हो सकी है।

बांग्‍लादेशी दूतावास को दो बार भेजा जा चुका है पत्र

जिला परिवीक्षा अधिकारी प्रभात कुमार ने कहा कि मासूम यहां नवंबर, 2019 से है। बांग्लादेशी दूतावास को दो बार पत्र भी भेजा जा चुका है। माता-पिता से संपर्क किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.