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आटोमेटिक वाटर लेबल रिकार्डर बताएगा नहर में है कितना पानी

गोरखपुर मंडल के 57 स्थानों पर यह यंत्र लगना है। जिसमें गोरखपुर कुशीनगर महराजगंज और देवरिया शामिल है। देवरिया के गढ़रामपुर सहित तीन अन्य स्थानों पर यह यंत्र लगना है। जबकि कुशीनगर के डेरवा तथा सुकरौली में भी यह यंत्र लगाया जाएगा।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 06:29 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 06:29 PM (IST)
आटोमेटिक वाटर लेबल रिकार्डर बताएगा नहर में है कितना पानी
सेमरी रजवाहा पर गढऱामपुर के निकट आटोमेटिक वाटर लेबल रिकार्डर मशीन लगाता तकनीकी सहायक। जागरण

गोरखपुर, मनोज तिवारी। अब नहर में पानी छोड़े जाने के बाद ही उसकी वास्तविक स्थिति का पता चल जाएगा। इसके लिए देवरिया जिले में विश्व बैंक के माध्यम से सिंचाई विभाग द्वारा नहर के किनारे नई तकनीक की आटोमेटिक वाटर लेवल रिकार्डर मशीन लगाई जा रही है। इससे विभाग के इंजीनियरों को मोबाइल पर जलस्तर के घटने एवं बढ़ने के संबंध में जानकारी मिलती रहेगी। किसान नहर के किसी स्थान से कटिंग कर पानी की चोरी व दुरुपयोग नही कर पाएंगे।

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गोरखपुर मंडल में 57 जगह लगेगा यंत्र

गोरखपुर मंडल के 57 स्थानों पर यह यंत्र लगना है। जिसमें गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज और देवरिया शामिल है। देवरिया के गढ़रामपुर सहित तीन अन्य स्थानों पर यह यंत्र लगना है। जबकि कुशीनगर के डेरवा तथा सुकरौली में भी यह यंत्र लगाया जाएगा। इस लेबल वाटर रिकार्डर मशीन का आइडी व पासवर्ड विभाग के पास रहेगा। जिससे संबंधित अवर अभियंता अपने-अपने क्षेत्रों में नहर में छोड़े गए पानी का पता लगा सकेंगे। देवरिया जनपद में विकास खंड तरकुलवा के सेमरी रजवाहा पर गढ़रामपुर पुलिया के पास लगाया गया है। जहां एक सिरे पर जमीन के अंदर जैमर लगाया है। दूरी और सोलर सिस्टम, बैट्री के साथ नहर की उत्तरी पटरी पर टावर लगाया गया है।

ये है ऑटोमैटिक वाटर गेज मशीन

आटोमैटिक वाटर गेज मशीन लगने से जहां रजवाहों में पानी की वस्तु स्थिति की पता लग सकेगा। तापमान, आद्रता, सूर्योदय और सूर्यास्त समय के अलावा हवा की गति और दिशा के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इस मशीन में सेंसर लगा है। जिससे सारा डेटा जिले के मुख्य अभियंता को मिलती रहेगी।

नहर के पानी का होेगा सही आकलन

आटोमैटिक वाटर गेज मशीन लगने से हेड से टेल तक पानी पहुंचा की नही, इसके साथ ही पानी की चोरी एवं दुरुपयोग का भी पता लगेगा। नहर के सटे किसानों को खेती में सिंचाई करने के लिए कितना पानी चाहिए यह भी विभाग को जानकारी होती रहेगी।

सेंसर से विभाग को मिलती रहेगी जानकारी

यह सेंसर युक्त सिस्टम से संचालित है। यह सेंसर ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा होता है। इसमें एक चिप लगा रहता है। जिसमें पुल पुलिया से संबंधित इंजीनियरों के मोबाइल नंबर फीड रहते हैं। जो पानी के जलस्तर बताने वाले स्केलर को सेंसर सिस्टम रीड करता है। जब जलस्तर घटता या बढ़ता है तो स्वत: संबंधित इंजीनियरों और अधिकारियों को एसएमएस के माध्यम से पता चला जाता है।

यंत्र लगाने के लिए विश्‍वबैंक ने जगह किया है चिह्नित

सिंचाई खंड के अवर अभियंता अरुण कुमार ने बताया कि गोरखपुर मंडल के 57 स्थानों पर यह यंत्र लगाने के लिए विश्व बैंक द्वारा चिन्हित किया गया है। इसे आटोमेटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर मशीन कहते हैं। जिसके नहर के किनारे लग जाने से हेड से टेल तक पानी पहुंचने में आसानी रहेगी। किसान पानी की चोरी या दुरुपयोग नहीं कर सकेंगे।


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