Triple talaq : बसने लगे टूटे हुए घर, कम हुई हैं मुस्लिम महिलाओं पर उत्पीडऩ की घटनाएं Gorakhpur News
तलाक के मुद्दे पर महिलाओं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वाली सादिया अंजुमन के मुताबिक सरकार ने तीन तलाक पर कानून बनाकर नेक काम किया है।
गोरखपुर, जेएनएन। तीन तलाक कानून पास होने का असर समाज में दिखने लगा है। कई मामलों में जुबानी तीन तलाक बोल चुके पति अपनी पत्नियों को कानून के डर से वापस ले गए। कानून से पीडि़ता को भी इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आ गई है और वे थाने में अपनी शिकायतें लेकर पहुंच रही हैं। शिकायतों की वजह से ही कानून के उल्लघंन के आरोप में कइयों को जेल की हवा भी खानी पड़ी। उलमा भी शरीयत का हवाला देकर लोगों से तलाक न देकर आपस में सुलह करने पर जोर दे रहे हैं। शहर में 52 वर्षों से सक्रिय दारुल इफ्ता इसके लिए लगातार काम कर रहा है।
तीन तलाक के कानून का हवाला देकर समझाया, तब बनी बात
देवरिया की युवती का निकाह तीन साल पहले गोरखनाथ के युवक से हुआ था। शादी के कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा, लेकिन बाद में पति का बर्ताव बदलने लगा। कमाई का पूरा हिस्सा वह खुद पर खर्च करता जबकि पत्नी, बच्चों की फिक्र ही नहीं करता। कुछ दिन बाद वह ससुराल वालों से भी रुपयों की मांग करने लगा। पत्नी के विरोध करने पर उसने तीन तलाक की धमकी देनी शुरू कर दी। युवती के घर वालों ने तीन तलाक के कानून का हवाला देकर पति को समझाया तो बात उसके समझ में आ गई। इसके बाद उसने न केवल पत्नी से माफी मांगी बल्कि बच्चों को साथ रखकर अब उनका भरण-पोषण भी कर रहा है।
ऐसा ही एक अन्य मामला बक्शीपुर का सामने आया। यहां की एक महिला शिक्षिका है, जिसका पति उसकी सारी तनख्वाह छीन लिया करता था। यहां तक कि वह बच्चों की परवरिश के लिए भी पैसे नहीं देता था। शिक्षिका के विरोध करने पर वह तीन तलाक की धमकी देता था। दो बार तो उसने तलाक बोल भी दिया था और तीसरी बार के लिए आए दिन पत्नी को प्रताडि़त कर उसकी तनख्वाह ले लेता था। तीन तलाक कानून पास होने के बाद महिला के परिवार और समाज के सम्मानित लोगों ने पति को समझाया कि अगर पत्नी ने शिकायत कर दी तो जेल भी जा सकते हो। इस मामले में उलमा के हस्तक्षेप से पति को समझ आ गया और वह पत्नी को अब ऐसी धमकी नहीं दे रहा है।
कानून बनाकर सरकार ने किया नेक काम
तलाक के मुद्दे पर महिलाओं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वाली सादिया अंजुमन के मुताबिक सरकार ने तीन तलाक पर कानून बनाकर नेक काम किया है। इससे मुस्लिम महिलाओं पर उत्पीडऩ की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन खत्म नहीं हुई है। पुलिस की उदासीनता की वजह से बहुत से लोग अब भी तीन तलाक देकर कानून से बच जा रहे हैं।
तीन तलाक से जुड़े मामले में आई कमी
दारुल इफ्ता के मुफ्ती मौलाना वलीउल्लाह का कहना है कि दारुल इफ्ता में तलाक से जुड़े काफी सवालात आते हैं, जिसका शरीयत के हवाले से जवाब दिया जाता है। कोशिश होती है कि मियां-बीवी को समझाकर रिश्तों की डोर टूटने से बचा दिया है। यह जरूर है कि बीते कुछ महीनों से एक साथ तीन तलाक से जुड़े मामलात में कमी आई है। एसएसपी डॉ. सुनील गुप्ता का कहना है कि हाल के महीनों में तीन तलाक की शिकायतें नहीं आई हैं। घरेलू ङ्क्षहसा और दहेज उत्पीडऩ के मामले जरूर सामने आए हैं, लेकिन महिलाओं की तरफ से ऐसी शिकायतें नहीं मिली हैं कि पति तीन तलाक की धमकी दे रहा है।