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एटीएम कार्ड यूज करते हैं तो यह खबर आपके लिए है

जालसाजों ने एक चिकित्‍सक का मोबाइल नंबर कंपनी से बंद कराकर दूसरा नंबर जारी करवा लिया और फ‍िर इंटरनेट बैंकिंग से चिकित्‍सक के खाते से दस लाख रुपये निकाल लिए।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 05:26 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 09:56 AM (IST)
एटीएम कार्ड यूज करते हैं तो यह खबर आपके लिए है
एटीएम कार्ड यूज करते हैं तो यह खबर आपके लिए है

गोरखपुर, (जेएनएन) : मेडिकल कालेज के डा. अजहर अली और उनके पिता डा. शौकत अली खान के संयुक्त खाते से 10 लाख रुपये निकाले जाने की घटना का पुलिस ने पर्दाफाश कर लिया है। जालसाजों ने गोरखपुर और कानपुर में दो फर्जी खाता खुलवाकर यह रकम उड़ाई थी। इस मामले में पुलिस ने तीन जालसाजों को गिरफ्तार कर लिया है।
पकड़े गए अभियुक्तों की पहचान तिवारीपुर क्षेत्र के घासीकटरा निवासी मो. युसूफ खां, कोतवाली क्षेत्र के रुद्रपुर, बेनीगंज निवासी शमसुद्दीन अहमद और कोतवाली, बस्ती के डाड़ीडीह निवासी अमितेष सिंह उर्फ निक्कू के रूप में हुई है। एसएसपी ने बताया कि बशारतपुर, शाहपुर के रवि सोलंकी और कोतवाली, बस्ती के गांधीनगर निवासी रत्नाकर सिंह भी इस घटना में शामिल थे। अभी उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
एक साल से योजना पर कर रहे थे काम
डाक्टर पिता-पुत्र का संयुक्त खाता भारतीय स्टेट बैंक की उर्दू बाजार शाखा में है। डा. शौकत ने एक साल पहले एटीएम कार्ड के लिए आवेदन किया था। डाकिये की गलती से एटीएम कार्ड उनके घर के बगल में रहने वाले मो. युसूफ खां मिल गया। इसके बाद से ही युसूफ ने डाक्टर के खाते से रकम निकालने के बारे में सोचना शुरू कर दिया। इससे पहले युसूफ हत्या के एक मामले में जेल गया था। जेल में उसकी मुलाकात बशारतपुर, शाहपुर के रहने वाले रवि सोलंकी से हुई थी। रवि सोलंकी के साथ मिलकर उसने फ्राड करने की योजना तैयार की। बाद में अमितेष और शमसुद्दीन के साथ मिलकर इस योजना पर काम करना शुरू किया। करीब एक साल तक इंतजार करने के बाद खाते में 10 लाख रुपये आने के बाद खाते से रकम निकाल ली।
खाते से ऐसे निकाली रकम
जालसाजों ने योजना को अंजाम देने के लिए सूरजकुंड शाखा के कर्मचारी मंसूर खां से मिलकर खाते व खाते से जुड़े मोबाइल नंबर का पता लगाया। बाद में मोबाइल की गुमशुदगी दर्ज कराकर उस नंबर को बंद करा दिया। खाते से दूसरा मोबाइल नंबर जुड़वाकर इंटरनेट बैंकिंग शुरू करा दी। इसके बाद वे खाते में रकम आने का इंतजार करते रहे। करीब दो माह पहले 10 लाख रुपये खाते में आने पर उन्होंने रकम निकाल ली।
दो खातों में ट्रांसफर की रकम
रकम निकालने के लिए जालसाजों ने कानपुर में भारतीय स्टेट बैंक तथा गोरखपुर में इलाहाबाद बैंक में दो फर्जी खाते खुलवा रखे थे। इंटरनेट बैंकिंग की मदद से उन्होंने डाक्टर के खाते से पूरी रकम कानपुर वाले खाते में भेज दी। बाद में कानपुर वाले खाते से रकम गोरखपुर स्थित इलाहाबाद बैंक के खाते में ट्रांसफर की। इलाहाबाद बैंक से 8.50 लाख रुपये का एक इलेक्ट्रानिक्स फर्म के नाम से डिमांड ड्राफ्ट बनवाया। फर्म के संचालक को पांच प्रतिशत कमीशन देकर उन्होंने बाकी रकम खुद ले ली। खाते में बचे शेष 1.50 लाख रुपये उन्होंने नकद निकाला था।
बैंक कर्मियों की भूमिका की होगी जांच
एसएसपी ने बताया कि इस पूरे मामले में डाक्टर के खाते की डिटेल बताने वाले और फर्जी नाम व पते पर खाता खोलने वाले बैंक कर्मियों की भूमिका सवालों के घेरे में है। उनकी भूमिका की भी जांच होगी।
एसएसपी ने की मातहतों की सराहना
एसएसपी ने बताया कि पुलिस अधीक्षक नगर विनय कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक अपराध अलोक कुमार वर्मा और सीओ क्राइम प्रवीण सिंह ने व्यक्तिगत रुचि लेकर इस मामले का पर्दाफाश किया। इनके अलावा कोतवाली इंस्पेक्टर जयदीप वर्मा, क्राइम ब्रांच के उप निरीक्षक धीरेंद्र राय, उप निरीक्षक संजीव कुमार, उप निरीक्षक राजेंद्र कुमार सिंह, उप निरीक्षक बलराम त्रिपाठी और सिपाहियों मोहसिन खां, शिवानंद उपाध्याय, विजय प्रकाश द्विवेदी, शशि शंकर राय, शशिकांत जायसवाल, सतीश कुमार और संजीत कुमार की भूमिका सराहनीय रही।

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