दाल का भाव काबू में आते ही थोक कारोबारियों को सरकार ने दी बड़ी राहत, दाल स्टाक की सीमा बढ़ाई गई
दालों की कीमतों में आई गिरावट को देखते हुए सरकार ने थोक कारोबारियों को राहत दी है। अब 31 अक्टूबर तक स्टाक की सीमा सिर्फ अरहर उड़द चना और मसूर दाल पर लागू होगी। थोक व्यापारियों के लिए स्टाक की सीमा 500 टन होगी।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। प्रमुख दालों की कीमतों में आई गिरावट को देखते हुए सरकार ने थोक कारोबारियों को राहत दी है। अब 31 अक्टूबर तक स्टाक की सीमा सिर्फ अरहर, उड़द, चना और मसूर दाल पर लागू होगी। थोक व्यापारियों के लिए स्टाक की सीमा 500 टन होगी, लेकिन कोई भी एक दाल 200 टन से अधिक नहीं रख सकेंगे। फुटकर विक्रेता पांच टन से ज्यादा का भंडारण नहीं कर सकेंगे। मिलों के लिए स्टाक की सीमा छह माह का उत्पादन या 50 फीसद की स्थापित क्षमता (जो भी अधिक हो) रहेगी।
दाल के दामों में कमी को देखते हुए सरकार ने कारोबारियों को दी राहत
दालों की महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने दो जून को थोक, फुटकर व्यापारियों तथा मिलों के लिए अक्टूबर तक मूंग को छोड़कर सभी दलहनों की भंडारण सीमा निर्धारित की थी। भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सोमवार को नया आदेश जारी कर दलहन के आयातकों के लिए भंडारण की सीमा खत्म कर दी है।
साथ ही मिलों तथा थोक कारोबारियों के लिए भी नियमों में ढील दी गई है, लेकिन इन्हें उपभोक्ता मामलों के विभाग के पोर्टल पर अपने स्टाक की सूचना देना जारी रखना होगा। यदि उनके पास निर्धारित सीमा से अधिक स्टाक है, तो उन्हें जारी अधिसूचना के 30 दिनों के भीतर इसे निर्धारित सीमा में लाना होगा। देश के कई हिस्सों में दाल की जमाखोरी का मामला सामने आने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। कई कारोबारियों ने सस्ता खरीदकर महंगे दामों पर दाल बेचा है।
कालाबाजारी पर नजर
मार्च से मई तक सरकारों का सारा ध्यान काेरोना संक्रमण की रफ्तार कम करने पर लगा हुआ था। इसी दौरान बहुत से बड़े कारोबारियों ने दालों की कीमतें बढ़ा दी। कोरोना कफ्यू से पहले अरहर की दाल 92 से 95 रुपये के बीच थी जो एकाएक 120 रुपये किलो पहुंच गई। इसी तरह मसूर और मूंग की दाल में भी बढ़ोतरी हुई, जबकि बाजार में दाल की मांग घटी थी। इसके बाद सरकार ने दाल कारोबारियों से स्टाक की घोषणा करने का आदेश दिया। आदेश मिलते ही दाल कारोबारियों में खलबली मच गई और एक सप्ताह के भीतर अरहर के दाल में प्रतिकिलो 15 से 20 रुपये किलो तक गिरावट आई।
सात सौ करोड़ का है सालाना कारोबार
गोरखपुर में दाल का करीब सात सौ करोड़ का सालाना कारोबार है। महेवा नवीन गल्ला मंडी के अलावा साहबगंज, सहजनवां, गोला, बड़हलगंज, पीपीगंज, कैंपियरगंज एवं चौरीचौरा में भी दाल के कई बड़े कारोबारी हैं। आसपास के जिलों में भी यहीं से दाल की आपूर्ति होती है। थोक कारोबारियों के मुताबिक सटोरियों की वजह से बार-बार दाल की कीमतें बढ़ती है। सरकार को उन कड़ी नजर रखनी चाहिए।