जीडीए में दाखिल नक्शों की पड़ताल करेंगे आर्किटेक्ट, जीडीए में आफरातफरी
शहर के एक होटल में हुई आर्किटेक्टों की बैठक में बताया गया कि 300 वर्ग फीट तक के नक्शों की मंजूरी की जिम्मेदारी आॢकटेक्ट की होती है। इन नक्शों के बारे में जीडीए की ओर से बहुत जांच नहीं की जाती है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। फर्जी हस्ताक्षर से नक्शा मंजूर होने के बाद शहर के आर्किटेक्ट सतर्क हो गए हैं। आर्किटेक्ट ने बैठक कर गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) में दाखिल नक्शों की पड़ताल पर मंथन किया। उन्हें डर है कि लखनऊ के आर्किटेक्ट की आईडी से 50 से ज्यादा नक्शा मंजूर होने के मामले जैसा कोई प्रकरण उनके साथ भी हो सकता है।
शहर के एक होटल में हुई आर्किटेक्टों की बैठक में बताया गया कि 300 वर्ग फीट तक के नक्शों की मंजूरी की जिम्मेदारी आॢकटेक्ट की होती है। इन नक्शों के बारे में जीडीए की ओर से बहुत जांच नहीं की जाती है। आर्किटेक्ट मनीष मिश्र ने कहा कि फर्जीवाड़ा से निपटने पर मंथन किया गया है। जीडीए के अफसरों से भी शिकायत दर्ज कराई गई है। इस मामले की जांच हो, जो भी दोषी मिलने उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
जीडीए में पूरे दिन चर्चा का विषय
फर्जी हस्ताक्षर से नक्शा पास होने का मामला सामने आने के बाद जीडीए में भी अफरातफरी रही। नक्शा विभाग के जिम्मेदार जांच व कार्रवाई को लेकर पूरे दिन चर्चा करते रहे।
50 से अधिक मानचित्र पास होने की हो चुकी है पुष्टि
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) में भी आर्किटेक्ट के फर्जी हस्ताक्षर व गलत तरीके से पंजीकरण संख्या का प्रयोग कर मानचित्र दाखिल करने व पास कराने का मामला अब हर ओर गूंज रहा है। आशंका जताई जा रही है कि केवल उन्हीं के फर्जी हस्ताक्षर से 100 से अधिक मानचित्र दाखिल किए गए, जिसमें से 50 से अधिक पास भी हो चुके हैं। उनके नाम पर पिछले करीब तीन साल से मानचित्र दाखिल किए गए हैं। अब आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने फर्जी तरीके से पास हुए मानचित्रों को निरस्त करते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की मांग की है। आर्किटेक्ट जितेंद्र त्रिपाठी ने बताया है कि जीडीए में दाखिल 100 से अधिक मानचित्रों में उनके फर्जी हस्ताक्षर एवं काउंसिल आफ आर्किटेक्चर (सीओए) के पंजीकरण नंबर का उपयोग किया गया है। इसमें आवासीय एवं व्यावसायिक, दोनों तरह के मानचित्र हैं।
बता दें कि शासन की ओर से आनलाइन मानचित्र स्वीकृत करने के लिए पेार्टल विकसित कराया गया है, उसके बावजूद फर्जीवाड़े का मामला आना अचंभित करता है। गोरखपुर आर्किटेक्ट एसोसिएशन के मनीष मिश्रा का कहना है कि आनलाइन व्यवस्था में पारदर्शिता के साथ फर्जीवाड़े की भी आशंका रहती है। मनीष इस मामले में मंडलायुक्त से मिलकर भी कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। उनका कहना है कि आनलाइन