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गोरखपुर शहर के दो मोहल्‍लों के सभी मानचित्रों की होगी जांच Gorakhpur News

किसी भी भूखंड में कमी या नियमों का उल्लंघन मिला तो न केवल मानचित्र निरस्त किया जाएगा बल्कि उसे पास करने में शामिल लोगों पर कार्रवाई भी की जाएगी।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 05:20 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 05:20 PM (IST)
गोरखपुर शहर के दो मोहल्‍लों के सभी मानचित्रों की होगी जांच Gorakhpur News
गोरखपुर शहर के दो मोहल्‍लों के सभी मानचित्रों की होगी जांच Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। ताल सुमेर सागर में अवैध निर्माण को लेकर कठघरे में आए गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने सुमेर सागर व जटेपुर क्षेत्र में पास सभी मानचित्रों की जांच शुरू करा दी है। इस संबंध में सदर तहसील से रिपोर्ट भी मंगाई गई है। किसी भी भूखंड में कमी या नियमों का उल्लंघन मिला तो न केवल मानचित्र निरस्त किया जाएगा बल्कि उसे पास करने में शामिल लोगों पर कार्रवाई भी की जाएगी। सदर तहसील प्रशासन ताल सुमेर सागर में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रहा है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर गौरव सिंह सोगरवाल की जांच में इस बात की तस्दीक हुई है कि ताल की जमीन पर अवैध निर्माण हुए हैं। इसके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी चल रही है। इस दौरान वहां ऐसे भी मकान मिले जिनका मानचित्र जीडीए से पास है। इसकी जानकारी होते ही प्राधिकरण भी सवालों के घेर में आ गया, जिस पर जीडीए उपाध्यक्ष ने सभी मानचित्रों की फिर से जांच के आदेश दे दिए।

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निरस्त होंगे दो मानचित्र

अतिक्रमण अभियान में पता चला कि यशवंत ङ्क्षसह व आशीष सक्सेना ने सन 2001 में तथ्यों को छिपाकर मकान का नक्शा पास कराया था। बुधवार की देर शाम सदर तहसील ने जीडीए को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया कि मानचित्र पास कराने में जीडीए के तत्कालीन अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत होगी। उस समय मौके पर गए बिना ही मानचित्र पास हो गया। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर ने ऐसे लोगों पर कार्रवाई की अपील की है। तहसील से आई चिट्ठी पर संज्ञान लेकर जीडीए ने जांच कराई तो मानचित्र गलत मिले हैं। सचिव राम ङ्क्षसह गौतम ने बताया कि गूगल मैप के आधार पर जुटाई गई जानकारी के अनुसार इस जमीन पर 2002 में मिट्टी गिराई गई और 2003 में निर्माण शुरू हो गया। इसे निरस्त कर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।

मिल चुकी हैं आधा दर्जन से अधिक फाइलें

मानचित्र पास करने में हुई हेराफेरी की जांच जीडीए की प्राथमिकता में शामिल हो गया है। अब तक ऐसी सात फाइलें मिल चुकी हैं जबकि औरों की तलाश जारी है। अधिकतर में रजिस्ट्री पेपर न होने से गाटा नंबर का पता नहीं चल पा रहा। तहसील से ताल के सभी गाटा नंबर की जानकारी मांगी गई है। उसी के आधार पर मानचित्र निकाल कर जांच की जाएगी। जीडीए के उपाध्‍यक्ष अनुज कुमार सिंह का कहना है कि ताल सुमेर सागर में मानचित्र पास होने की जांच की जा रही है। सुमेर सागर के साथ जटेपुर का विवरण भी तहसील से मंगाया गया है। जिसकी भी जमीन में गड़बड़ी मिली उसका मानचित्र निरस्त होगा।


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