AIDS : तीन साल में 3716 मौतें बता रही हैं कितनी भयावह है स्थिति Gorakhpur News
गोरखपुर में बीते तीन साल में AIDS से 3716 लोगों की जान ले चुकी है। इस साल भी बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर में 7913 पीडि़त पंजीकृत हैं।
गोरखपुर, हेमन्त पाठक। एड्स जानलेवा बीमारी है और पूर्वांचल में शिकंजा कसता जा रहा है। वैसे तो हर जिले में मरीजों की तादाद बढ़ रही है, लेकिन गोरखपुर में हालात चौंकाने वाले हैं। यहां बीते तीन साल में बीमारी 3716 लोगों की जान ले चुकी है। इस साल भी बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर में 7913 पीडि़त पंजीकृत हैं। इनमें 6608 का इलाज चल रहा है।
पीडि़तों में ज्यादातर वह लोग हैं जो रोजगार की तलाश में बड़े शहरों में गए, और जब लौटे तो साथ में बीमारी लेकर। जिले में मरीजों की तादाद किस रफ्तार से बढ़ रही है, इसका अंदाजा बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर में तीन साल में पंजीकृत पीडि़तों व उनकी मौतों की संख्या से लगाया जा सकता है।
बीआरडी में पंजीकृत गोरखपुर के पीडि़त व मौतें
वर्ष पंजीकृत मौतें
2017 6488 1068
2018 7204 1227
2019 7913 1421
ऐसे होता है एड्स
शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र संक्रमण व तमाम रोगों से मुकाबला करता है। सीडी फोर कोशिकाएं इस तंत्र का खास हिस्सा होती हैं। एचआइवी (इम्यूनो डेफिसिएन्सी वायरस) जब शरीर में प्रवेश करता है तो इन्हीं सीडी फोर कोशिकाओं को नष्ट करता है। इसकी वजह से प्रतिरोधक क्षमता खत्म होने लगती है, और शरीर अनेक प्रकार के संक्रमण की जद में आ जाता है। जब वायरस शरीर में प्रवेश करता है तो सामान्यतया शुरू में लक्षण सामने नहीं आते। जांच में भी बीमारी की पुष्टि नहीं होती। छह से आठ हफ्ते बाद एलाइजा टेस्ट पॉजिटिव आता है। वायरस की तादाद लगातार बढऩे से आठ से दस वर्ष में जब सीडी फोर कोशिकाओं की संख्या काफी कम हो जाती है, तो बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं।
अब थर्ड लाइन दवाएं भी उपलब्ध
जांच पॉजिटिव आने पर मरीज की एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) शुरू कर दी जाती है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित एआरटी सेंटर के पूर्व प्रभारी डा.आशुतोष मल्ल के अनुसार सभी दवाएं सरकार द्वारा स्थापित केंद्रों पर मुफ्त में दी जाती हैं। बीआरडी में सेकेंड लाइन दवाएं भी उपलब्ध हैं। यह तब दी जाती हैं जब फस्र्ट लाइन दवाएं काम नहीं करतीं। सेकेंड लाइन दवाएं काम नहीं करने पर मरीज को थर्ड लाइन दवा की जरूरत पड़ती है। बीएचयू में थर्ड लाइन दवाएं भी पीडि़तों को दी जा रही हैं। उम्मीद है साल भर बाद यह दवाएं गोरखपुर में भी उपलब्ध हो जाएंगी।
कारण
- एचआइवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध से
- संक्रमित रक्त चढ़ाने से
- इंजेक्शन से नशे की दवा लेने वालों को
- गोदना या टैटू से
- दूसरों की ब्लेड, उस्तरा इत्यादि के प्रयोग से
लक्षण
- वजन कम होना
- लंबे समय तक बुखार या पतला दस्त
- चर्म रोग संक्रमण
- नाखून व मुंह में संक्रमण
- बार-बार श्वांस में संक्रमण
- क्षय रोग, निमोनिया