CAA Protest in Gorakhpur : नमाज के बाद उपद्रवियों की भीड़ ने सिविल डिफेंस के उपनियंत्रक पर किया हमला, बड़ी मुश्किल से बची जान Gorakhpur News
परिचय पत्र न दिखाने पर भीड़ उपनियंत्रक को पीटने लगी। किसी तरह उन्हें भीड़ से बचाकर सिविल डिफेंस के पदाधिकारी अतहर के घर में ले जाया गया।
गोरखपुर, जेएनएन। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद नागरिकता संशोधन कानून 2019 का विरोध कर रही भीड़ ने सिविल डिफेंस के उपनियंत्रक पर हमला कर दिया। भीड़ में शामिल युवा उपनियंत्रक व एक अन्य पदाधिकारी को हिन्दूवादी संगठन का सदस्य बता रहे थे। एडीएम सिटी के पास से उपनियंत्रक को खींच लिया और जमकर पिटाई कर दी, जिससे वह घायल हो गए। मुस्लिम समाज से आने वाले एक स्वयंसेवक ने पास स्थित अपने मकान में ले जाकर उनकी जान बचाई। बाद में एडीएम सिटी ने अपनी गाड़ी से उन्हें बाहर निकाला।
जामा मस्जिद से शुरू हुआ विरोध जुलूस
जामा मस्जिद से शुरू हुआ विरोध जुलूस शाहमारूफ मदीना मस्जिद के पास पहुंचा था। भीड़ का बड़ा हिस्सा रेती चौक की ओर नारेबाजी करते हुए बढ़ गया। मौके पर मौजूद कुछ लोगों को एडीएम सिटी आरके श्रीवास्तव समझाने की कोशिश कर रहे थे। उनके साथ ही उपनियंत्रक सत्यप्रकाश सिंह एवं एक अन्य पदाधिकारी विकास जालान मौजूद थे। दोनों ने हेलमेट लगाया था लेकिन सिविल डिफेंस की यूनिफार्म उनके पास नहीं थी। बातचीत के दौरान भीड़ में से कुछ लोगों ने दोनों को संदिग्ध बता दिया।
हिन्दूवादी संगठन का बताकर किया हंगामा
उन्हें हिन्दूवादी संगठन का बताकर हंगामा शुरू कर दिया। प्रशासन पर साजिश रचने का आरोप लगाया और परिचय पत्र दिखाने की मांग की। एडीएम सिटी ने पहचानने की बात कही लेकिन भीड़ में शामिल युवा नहीं माने। विकास जालान उनके चंगुल से किसी तरह बच गए लेकिन सत्यप्रकाश सिंह के साथ काफी देर तक धक्का-मुक्की व गाली-गलौज की गई। परिचय पत्र न दिखाने पर भीड़ उपनियंत्रक को पीटने लगी। किसी तरह उन्हें भीड़ से बचाकर सिविल डिफेंस के पदाधिकारी अतहर के घर में ले जाया गया। वहां से सुरक्षित निकालने के लिए दोनों को एडीएम सिटी की गाड़ी में बैठाया गया। गाड़ी को रोकने के लिए भी भीड़ ने काफी कोशिश की लेकिन पुलिस ने लाठी पटककर उन्हें अलग किया और गाड़ी को तेजी से आगे बढ़ाया गया।
बोले सत्यप्रकाश सिंह-ऐसे हुई गलतफहमी
सिविल डिफेंस के उपनियंत्रक सत्य प्रकाश सिंह का कहना है कि मैं और विकास जालान प्रशासन के सहयोग में खड़े थे। ड्रेस न पहनने से हमारे कुछ भाईयों को गलतफहमी हो गई।