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खून चढऩे के बाद अब मरीजों को नहीं होगा रियेक्शन, बीआरडी में लगेगी मशीन

प्राचार्य डा. गणेश कुमार का कहना है कि मशीन का प्रस्ताव शासन में भेज दिया गया है। इसकी लागत 12 से 15 लाख रुपये है। उम्मीद है शीघ्र ही यह मशीन आ जाएगी। इससे मरीजों को अब शुद्ध रक्त प्लाज्मा व प्लेटलेट्स मिल सकेंगे।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 04:34 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 07:21 PM (IST)
खून चढ़ाने के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज में आटोमेटेड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन आने वाली है। इसका प्रस्ताव शासन में भेज दिया गया है। अभी तक यहां कंपोनेंट सेपरेटर सेंटीफ्यूज मशीन से खून से प्लाज्मा, पैक्ड रेड ब्लड सेल (पीआरबीसी), प्लेटलेट्स या क्रायो (क्लाटिंग फैक्टर) निकाले जाते थे। उनमें ह्वाइट ब्लड सेल (डब्लूबीसी) की कुछ मात्रा चली जाती थी। इसमें साइकोटाइन केमिकल होते हैं जो रियेक्शन का कारण बनते हैं। अब नई मशीन के आ जाने से अधिक शुद्धता के साथ ब्लड के सभी कंपोनेंट अलग किए जा सकेंगे।

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इन मरीजों को सबसे ज्‍यादा जरूरत

सबसे ज्यादा उपयोग पीआरबीसी का होता है। शरीर में खून की कमी होने से बड़ी संख्या में मरीजों को यही चढ़ाया जाता है। खासकर गर्भवती, थैलीसीमिया व एनीमिया के मरीजों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। इसके अलावा हार्ट अटैक व एक्सीडेंटल मामलों में भी इसकी जरूरत पड़ती है। ऐसे मरीजों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। डेंगू के मरीजों, थंब्रोसाइटोपीमिया (जिनके शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं) व बुखार के साथ चर्म में ब्लीडिंग होने पर मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है। कोरोना, जले हुए, एक्सीडेंटल मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। हीमोफीलिया के मरीजों को इंजेक्शन के रूप में फैक्टर लगता है। इन सभी मरीजों को अब रक्त के सभी कंपोनेंट अधिक शुद्धता के साथ मिल सकेंगे।

15 लाख रुपये में मिलेगी मशीन

बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. गणेश कुमार का कहना है कि मशीन का प्रस्ताव शासन में भेज दिया गया है। इसकी लागत 12 से 15 लाख रुपये है। उम्मीद है शीघ्र ही यह मशीन आ जाएगी। इससे मरीजों को अब शुद्ध रक्त, प्लाज्मा व प्लेटलेट्स मिल सकेंगे। बीआरडी में पैथोलाजी विभाग की अध्‍यक्ष डा. शैल मित्रा का कहना है कि अभी कंपोनेंट सेपरेटर सेंटीफ्यूज मशीन से रक्त के सभी कंपोनेंट अलग किए जाते हैं। उसमें डब्लूबीसी की कुछ मात्रा चली जाती है जो रियेक्शन का कारण बनती है। इस मशीन के आने से यह आशंका खत्म हो जाएगी।


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