Move to Jagran APP

वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने के बाद गोविवि ने 2018-19 के शोधार्थियों से मांगी आपत्ति

2019-20 के शोधार्थियों पर वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने के बाद दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनसे इसे लेकर आपत्ति मांगी है। विश्वविद्यालय ने कहा है कि इसे लागू करने से जिस किसी शोधार्थी को परेशानी है वह शोध निर्देशक के माध्यम से आपत्ति दर्ज करा सकता है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Thu, 11 Nov 2021 02:30 PM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 02:30 PM (IST)
वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने के बाद गोविवि ने 2018-19 के शोधार्थियों से मांगी आपत्ति
वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने के बाद गोविवि ने 2018-19 के शोधार्थियों से मांगी आपत्ति। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। 2019-20 के शोधार्थियों पर सीबीसीएस ('वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) लागू करने के बाद दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनसे इसे लेकर आपत्ति मांगी है। विश्वविद्यालय ने कहा है कि इसे लागू करने से जिस किसी शोधार्थी को परेशानी है, वह अपने शोध निर्देशक के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है।

loksabha election banner

ढाई वर्ष से प्री परीक्षा का इंतजार कर रहे थे शोधार्थी

विश्वविद्यालय ने 2019-20 के शोधार्थियों पर तब सीबीसीएस लागू किया है जब उन्हें ढाई वर्ष के अंतराल के बाद अपनी प्री-पीएचडी परीक्षा का इंतजार था। इसे फैसले से उनकी उम्मीद पर तुषारापात हुआ है। हालांकि विश्वविद्यालय ने उन्हें प्री-पीएचडी की लिखित और प्रायोगिक परीक्षाओं को आगामी दिसंबर-जनवरी तक कराने का आश्वासन दिया है लेकिन उससे पहले 10 क्रेडिट पूरा करने की शर्त रख दी है।

पांच-पांच क्रेडिट कोर्स करना होगा अनिवार्य

विश्वविद्यालय ने ऐसा किए जाने को लेकर पीएचडी आर्डिनेंस-2018 और यूजीसी रेग्यूलेशन- 2016 का हवाला दिया है, जिसके तहत हर शोधार्थी को रिसर्च मेथडोलाजी और कंप्यूटर एप्लीकेशन पर पांच-पांच क्रेडिट का कोर्स करना अनिवार्य है। ऐसा न किए जाने को लेकर विश्वविद्यालय ने अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व कुलपति की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाया है।

औचित्‍यहीन बता रहे हैं शोधार्थी

उधर शोधार्थियों का कहना है कि अब जबकि छह महीना के प्री-पीएचडी कोर्स को करने में ढाई साल से ऊपर लग चुके हैं, ऐसे में उन पर नया नियम लागू करना औचित्यपूर्ण नहीं है। विश्वविद्यालय को यह प्रणाली नए शोधार्थियों पर लागू करनी चाहिए।

दो बार रजिस्ट्रेशन के निर्णय से नाराज महाविद्यालय शिक्षक

गोरखपुर विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. केडी तिवारी एवं महामंत्री डा. धीरेंद्र सिंह ने विश्वविद्यालय की ओर सेमेस्टर परीक्षाओं में दो बार रजिस्ट्रेशन कराने के निर्णय का विरोध किया है। पदाधिकारियों का कहना है कि विद्यार्थियों से सेमेस्टर की परीक्षाओं में 150-150 रुपये दो बार पंजीकरण शुल्क लेना समझ से परे है। यही नहीं सेमेस्टर से होने वाली मिड टर्म परीक्षा को वैकल्पिक प्रणाली से कराने का निर्णय हुआ है, जिसमें प्रश्नपत्र और ओएमआर सीट विश्वविद्यालय से भेजी जाएगी। जबकि इसके पहले मिड टर्म पीजी की परीक्षा महाविद्यालय के शिक्षक जितना पढ़ाते थे, उतने कोर्स में से ही प्रश्न पूछ कर ली जाती थी। और अंकपत्र विश्वविद्यालय को भेज दिया जाता था। नए नियम से विद्यार्थियों का काफी नुकसान होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि कुलपति अगर मिड टर्म परीक्षा पुराने तरीके से नहीं कराते हैं, तो शिक्षकों को परीक्षाा के बहिष्कार का निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.