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Lockdown in Gorakhpur : सख्‍त हुआ प्रशासन, बेवजह घूमने वाले 127 लोगों पर मुकदमा Gorakhpur News

Lockdown in Gorakhpur लॉकडाउन को लागू कराने में गोरखपुर जिला प्रशासन ने सख्‍त रूख अपनाया है। प्रशासन ने बेवजह घूमने वाले 127 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 01:22 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 03:05 PM (IST)
Lockdown in Gorakhpur : सख्‍त हुआ प्रशासन, बेवजह घूमने वाले 127 लोगों पर मुकदमा Gorakhpur News
Lockdown in Gorakhpur : सख्‍त हुआ प्रशासन, बेवजह घूमने वाले 127 लोगों पर मुकदमा Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए पुलिस का रवैया काफी सख्त रहा। विभिन्न थाना क्षेत्रों में 127 के विरुद्ध धारा 144 और बेवजह घूमने और महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इस दौरान कई लोगों ने जुर्माना भी वसूल किया गया। शाहपुर पुलिस ने 43 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है। इसमें अधिकतर लोग सड़क पर घूमते हुए पकड़े गए थे। गुलरिहा इलाके के भटहट कस्बे में 10 दुकानदारों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। उरुवा पुलिस ने 12 के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत किया है। चौरीचौरा के सरदार नगर में सात लोग पकड़े गए। सभी पर मुकदमा दर्ज हुआ है। पिपराइच पुलिस ने 47 के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर 73 हजार रुपये जुर्माना भी वसूल किया है। गोला पुलिस ने पांच दुकानदारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है।

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बंदी की हकीकत जानने निकले डीआइजी

बंदी की जमीनी स'चाई जानने के लिए डीआइजी राजेश मोदक शहर में निकले। गोलघर में चेकिंग कर रहे एसपी सिटी डॉ. कौस्तुभ से उन्होंने व्यवस्था की जानकारी ली। भ्रमण के दौरान वह कोरोना वायरस से बचाव के लिए शारीरिक दूरी बनाए रखने की अपील भी कर रहे थे। बंदी के बेपटरी होने की सूचना पर दोपहर एक बजे सच्‍चाई जानने के लिए डीआइजी आवास से निकले। इसकी खबर लगते ही पुलिसकर्मी अलर्ट हो गए। पूरे शहर में चेकिंग शुरू हो गई। गोलघर में कचहरी चौराहे पर एसपी सिटी खुद चेकिंग कर रहे थे। कुछ देर बाद डीआइजी पहुंचे तो उनसे व्यवस्था की जानकारी ली। डीआइजी ने कहा कि बंदी का सख्ती से पालन कराया जा रहा है।

गली-मोहल्लों की किराना दुकानें भी रही बंद

बंद का खासा असर देखने को मिला। पुलिस और प्रशासन की सख्ती के चलते गली-मोहल्ले की किराना की दुकानें बंद रहीं। वहीं ताजी सब्जी व दूध के लिए भी लोगों को परेशान होना पड़ा। दवा की दुकानों के अलावा सिर्फ कुछ किराना स्टोर खुले रहे, जहां से इक्का-दुक्का ऑनलाइन डिलीवरी होती रही। इससे पहले हुए लॉकडाउन में लोगों को राशन, दूध और ताजी सब्जियां आसानी से उपलब्ध हो जाती थीं। इसकी वजह यह थी कि किराना की दुकानें खोलने पर किसी तरह की रोक नहीं थी और सब्जी विक्रेता भी ठेला लेकर घर-घर पहुंचते थे, लेकिन शनिवार को पहले जैसा नजारा नजर नहीं आया। 22 मार्च को भी शहर में इसी तरह की बंदी दिखी थी। गोरखनाथ से लेकर बरदगवां, रसूलपुर से सूरजकुंड, इलाहीबाग, मिर्जापुर होते हुए लाल डिग्गी चौराहा, असुरन से बिछिया और पांडेयहाता से लेकर रुस्तमपुर तक किराना की एक भी दुकानें नहीं खुली थीं। जिन लोगों की दुकानें घर में थी, उन्होंने भी दुकान बंद रखी थी। किसी-किसी मोहल्लों में सब्जी का ठेला नजर आया। दुकानें न खुलने से चाय, पान आदि के तलबगार भी परेशान रहे। सूरजकुंड निवासी परशुराम श्रीवास्तव ने बताया कि दूध व ब्रेड जैसी जरूरी चीजों के लिए दुकानें खुलनी चाहिए थी। गोरखनाथ निवासी सुषमा वर्मा ने बताया कि बासी सब्जी दोगुनी दाम पर खरीदनी पड़ी। दो सब्जी वाले मोहल्ले में आए थे, लेकिन किसी के पास ताजी सब्जी नहीं थी।

घरों तक सिमटे लोग, शहर में सन्नाटा

बंदी के फैसले का पालन शहरवासियों ने स्वत:स्फूर्त चेतना से किया। पुलिस-प्रशासन को इसके लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ा। लोग घरों में रहे, दवा को छोड़ सभी दुकानें बंद रहीं और शहर में सन्नाटा पसरा रहा। जीवन की भागदौड़ में पुराने दिनों को भूल चुके शहर के लोगों को लेकर पुलिस-प्रशासन को इस बात का अंदेशा था कि शहरवासियों को बंदी वाले मोड में लाने में मुश्किलें आएंगी। इसे देखते हुए शहर में सड़क से लेकर गलियों तक में बेरिकेङ्क्षडग की गई थी। हर दिन बड़ी संख्या में मिल रहे कोरोना मरीजों से दहशत में जी रहे शहरवासियों ने इस बार बंदी को तहेदिल से स्वीकार किया। केवल वही लोग सड़कों पर निकले, जिन्हें दवा या इलाज संबंधी जरूरत थी। नौसढ़ से मेडिकल कॉलेज तक और इलाहीबाग से ङ्क्षसघडिय़ा तक, हर जगह यही स्थिति रही। हालांकि जिले के आला अफसर पूरे दिन शहर में दौड़ते रहे, लेकिन उन्हें कुछ ही स्थानों पर कोई व्यक्ति सड़क पर घूमता मिला। गोलघर, घंटाघर, रेती चौक, नखास चौक, अलीनगर, बक्शीपुर, असुरन चौक, बेतियाहाता, मोहद्दीपुर, पांडेयहाता, लालडिग्गी, घोष कंपनी जैसे अति व्यस्त रहने वाले चौराहों पर सन्नाटा पसरा रहा। शाम ढलने के बाद तो जैसे देर रात का अहसास होने लगा। 


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