थाईलैंड से दस दिवसीय दौरे पर सोनौली पहुंचा बौद्ध भिक्षुओं का दल
थाईलैंड के 102 बौद्ध भिक्षुओं का दल सोनौली पहुंचा। यहां पूजन वंदन कर बौद्ध भिक्षु लुंबिनी चले गए। भारत में यह दल 20 नवंबर को बोधगया पहुंचा था।
गोरखपुर, जेएनएन। बौद्ध भिक्षु बने थाईलैंड के प्रधानमंत्री कार्यालय के 102 अधिकारियों का दल सोनौली स्थित थाई भिक्षुओं के लिए बनाए गए विश्रामगृह पहुंचा। इसके बाद बौद्ध भिक्षु लुंबिनी चले गए। भारत में यह दल 20 नवंबर को बोधगया पहुंचा था। वहां डॉ. पी. पथेपबोधिखुन के नेतृत्व में थाई परंपरा के अनुसार दीक्षा लेकर बौद्ध भिक्षु बने। 29 नवंबर को श्रावस्ती में पूजा करने के बाद भिक्षु अपना चीवर उतार देंगे और स्वदेश लौट जाएंगे। संपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थलों की पूजा वंदना और स्थलों की विस्तृत जानकारी डा. पी खोमसान द्वारा कराई जा रही है। थाई बुद्धिस्ट मोनास्ट्री कुशीनगर के पी. अनुवात ने बताया कि थाईलैंड के नौवें राजा भूमिबोल अदुलयदेज के लिए बौद्ध भिक्षु प्रार्थना कर रहे हैं ताकि इनका पुण्य उन्हें प्राप्त हो सके। 10 दिवसीय भारत भ्रमण पर आया यह दल श्रावस्ती के लिए रवाना हो गया है। इस दौरान सोनौली में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे । इस अवसर पर प्रभारी निरीक्षक सोनौली आंनद कुमार गुप्ता, एसआई रविंद्र सिंह, एसआई सुरेंद्र उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात थी।
नहीं आए थाई उप प्रधानमंत्री
बौद्ध भिक्षु बने थाईलैंड प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री एजीएम प्राजीन जुंटांग सोनौली के रास्ते नेपाल जाने वाले थे, लेकिन वह नहीं आए। उप प्रधानमंत्री जुंटांग बोधगया में ही पूजा पाठ करने के बाद वापस थाईलैंड लौट गए।
भैरहवा में चलेंगी इलेक्ट्रिक बसें, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
नेपाल के अलावा भारतीय क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत अच्छी खबर है। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल ने इलेक्ट्रिक बसों के संचलन की योजना को मुहर लगा दिया है। नेपाल के रुपंदेही जिला के भैरहवा क्षेत्र में इलेक्ट्रिक से चलने वाली बसों को संचालित किया जाएगा। यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के मद्देनजर लिया गया है। नेपाल सरकार इस कार्य योजना का खाका बनाने में जुट गई है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा व पर्यटन नागरिक उड्डयन मंत्री रविंद्र अधिकारी ने इस बात पर मुहर लगा दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भैरहवा में इलेक्ट्रिक व सोलर से चलने वाले वाहनों के संचलन की प्राथमिकता होगी जो लुंबिनी व भैरहवा के बीच हवाई अड्डे से होते हुए संचालित होंगी। भैरहवा में अंतरराष्ट्रीय विमान स्थल हो जाने से नेपाल के पर्यटन व उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा। भारत समेत कई देशों के यात्री अब आसानी से गौतम बुद्ध की जन्म स्थली लुंबिनी की यात्रा कर सकेंगे। साथ ही तराई क्षेत्र में विदेशों से होने वाले कई आयात-निर्यात में भी सुविधाएं मिलेंगी। इस परियोजना में भारत व चीन की मदद ली जाएगी। अभी तक करीब 50 वाहनों के संचलन का प्रस्ताव तैयार हो चुका है।