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निराश जिदगी में उम्मीदें लेकर आई मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना

कोरोना से बेसहारा हुए बच्चों को आगे की शिक्षाभरण-पोषण की सता रही थी चिता मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना में चिह्नित बचों की समस्या हुई दूर

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 06:30 AM (IST)
निराश जिदगी में उम्मीदें लेकर आई मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना

जागरण संवाददाता, संतकबीर नगर: मार्च 2020 से अब तक कोरोना के चलते जनपद के 21 बच्चे बेसहारा हो गए। बच्चे चितित थे कि उन्हें आगे की शिक्षा कैसे मिल पाएगी। उनको पालने वाले को घर का खर्च चला पाने की चिंता अलग से थी। इन सबके बीच मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत बेसहारा हुए बच्चों को लाभान्वित करने के लिए पहल शुरू हुई और यह ऐसे बच्चों की जिंदगी में उम्मीदों की किरण बन गई है।

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जिलाधिकारी दिव्या मित्तल का कहना है कि बेसहारा हुए बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इनके बारे में बीच-बीच में जानकारी ली जाएगी। कहीं किसी प्रकार दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना ऐसे बच्चों के लिए वरदान साबित होगी।

शिक्षा व भरण-पोषण की चिता हुई कम

बखिरा कस्बे के एक 12 वर्षीय किशोर के पिता की कोरोना के चलते कुछ माह पूर्व मौत हो गई थी। पिता के अचानक चल बसने से आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई थी। संकट की इस घड़ी में आसपास के लोगों ने काफी मदद की। आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए किशोर दिवंगत पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जिला अस्पताल का तीन बार चक्कर काटा, लेकिन नहीं बन सका। शासन के निर्देश पर खलीलाबाद तहसील प्रशासन ने कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चे के रूप में चिह्नित किया। किशोर का कहना है कि ऐसा लग रहा था कि अब उसकी पढ़ाई बंद हो जाएगी। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना में नाम शामिल होने के कारण अब शिक्षा व भरण-पोषण की चिता कम हुई है। शासन की यह सराहनीय पहल है।

पिता की मौत से जिदगी में छा गया था अंधेरा

नगर पंचायत बखिरा के बखिरा कस्बा निवासी एक 11 वर्षीय बालक ने कहा कि कुछ माह पूर्व उसके पिता की तबीयत खराब हो गई थी। जिला अस्पताल स्थित कोविड हास्पिटल में जांच व उपचार कराने के बाद भी नहीं ठीक हुए। चार दिन बाद उन्होंने दम तोड़ दिया था। घर-गृहस्थी चलाने वाले पिता की मौत से जिदगी में अंधेरा छा गया था। आगे जिदगी कैसे कटेगी, इसकी चिता सता रही थी। शासन द्वारा संचालित मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना ने यह चिता दूर कर दी है। उन्हें उम्मीद है कि अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों का भरपूर सहयोग मिलेगा।


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