700 रुपये में एक माह फर्राटा भर रही दारोगाओं की बाइक Gorakhpur News
मुकदमों की विवेचना और अपराध रोकने के लिए दिन भर दौड़ने वाले दारोगा की 700 रुपये में ही पूरे महीने बाइक फर्राटा भरती है। यह बात आपको भले ही अजीब सी लगे लेकिन यह 100 फीसद सही है।
गोरखपुर, जेएनएन : पुलिस कर्मियों के बेरहम व भ्रष्ट तंत्र की कहानियां तो आप हर रोज सुनते हैं, लेकिन क्या आप हमारी सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों के दर्द को भी जाना है। आप सुनने के बाद हैरान जरूर हो जाएंगे। मुकदमों की विवेचना और अपराध रोकने के लिए दिन भर दौड़ने वाले दारोगा की 700 रुपये में पूरे महीने बाइक फर्राटा भरती है। यह बात आपको भले ही अजीब सी लगे, लेकिन यह 100 फीसद सही है। पुलिस विभाग की तरफ से इन्हें चलने व बाइक मरम्मत कराने के लिए हर महीने केवल 700 रुपये ही मिलते हैं। अब इतने कम पैसे तेल और मेंटीनेंस का काम कैसे चलता है, यह कह पाना मुश्किल है।
छह साल पहले बढ़ा है भत्ता
30 से 40 गांव की सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रहे एक दारोगा के चलने के लिए 700 रुपये भत्ता मिलता है, इसमें उनको बाइक मरम्मत कराने की भी जिम्मेदारी रहती है। छह साल पहले तक इन्हें लगभग पांच सौ रुपये भत्ता मिलता रहा है। दारोगा का दर्द है कि अगर एक मुकदमे में चार बार जिला मुख्यालय जाना पड़े तो 700 रुपये से अधिक का पेट्राेल जल जाता है, ऐसे में क्षेत्र भ्रमण कैसे किया जाएगा? ऐसे में बहुत से दारोगाओं को तो अपने जेब से ही पेट्रोल डलवा कर चलना पड़ता है।
साढ़े तीन सौ मिलता है सिपाही को
जमाना अत्याधुनिक हो गया है, अपराधी रेसर बाइक व चार पहिया वाहन का प्रयोग कर रहे हैं, जबकि सिपाहियों को आज भी साइकिल भत्ता मिलता है। पहले डेढ़ सौ रुपये मिलते थे, आज इन्हें साढ़े तीन सौ रुपये मिलते हैं। जबकि एक सिपाही पर तीस से चालीस गांव की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। अगर वह साइकिल से चलेंगे तो कैसे सुरक्षा कर पाएंगे? हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इनके भी वाहन भत्ता के लिए प्रस्ताव गए हैं, लेकिन अभी इस पर विचार नहीं हो सका है।